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Tuesday, March 11, 2025
बेचैन दिल की तमन्ना, ✍️ हेमन्त कुमार
Sunday, March 2, 2025
ओये जंगली!!!, ✍️ हेमंत कुमार
Friday, January 31, 2025
नीला सफेद स्वेटर, ✍️ हेमंत कुमार
Sunday, January 5, 2025
एक और कहानी, ✍️ हेमंत कुमार
Tuesday, December 17, 2024
मन का मौसम, ✍️ हेमंत कुमार
Wednesday, December 4, 2024
कहानी अनकही, ✍️ हेमंत कुमार
Sunday, September 29, 2024
बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार
Tuesday, September 3, 2024
साजिश, ✍️ हेमंत कुमार
Saturday, August 17, 2024
खिड़की!!!, ✍️ हेमंत कुमार
Sunday, July 7, 2024
दिल का करार, ✍️ हेमंत कुमार
Wednesday, June 12, 2024
मैं तुम्हें याद आऊंगा, ✍️ हेमंत कुमार
Wednesday, May 15, 2024
मैं और तुम, ✍️ हेमंत कुमार
Sunday, April 14, 2024
मुकम्मल ख़्वाब, ✍️ हेमंत कुमार
Monday, March 25, 2024
अरमान, ✍️ हेमंत कुमार
Friday, March 8, 2024
स्त्री, ✍️ हेमंत कुमार
Tuesday, March 5, 2024
तुम, ✍️ हेमंत कुमार
Tuesday, February 20, 2024
आधी अधुरी दास्तान, ✍️ हेमंत कुमार
Saturday, February 10, 2024
बस यूं ही किसी दिन, ✍️ हेमंत कुमार
एक ख्याल अक्सर मेरे जहन में आता है
और कर देता मेरे हृदय को प्रफुल्लित
कि यूं ही किसी दिन मिलना हो हमारा तुम्हारा
ये स्त्री~पुरुष के तमाम भेदभाव भुला कर....
हम बैठेंगे किसी बेहद नितांत ‘एकांत’ में
दीन दुनिया के सब बुनियादी ख्यालों से परे
बस अपनी ही बुनी हुई किसी ‘दुनिया’ में
दुनिया के तमाम मसलों से बेखबर होकर....
तुम एकदम ‘खाली हाथ’ चले आना
बस ले आना अपने साथ में थोड़ा सा वक़्त
और थोड़ी सी मुस्कान चंचल ‘चेहरे’ पर
बस उगा लाना एक ‘उजला’ चांद माथे पर....
कि जिस्मानी दुनिया से परे भी हैं हम कुछ
ये ‘महसूस’ कर सकें धड़कते ‘दिलों’ में,
लम्बी, गहरी ‘ख़ामोशी’ के बीच छेड़ सकें
धीमे-धीमे सुर में संगीत की मधुर स्वर लहरियां....
कि तुम्हारा मेरे कांधे पर सर रख के बैठ जाना
जैसे तुमने कर दिया हो अपना सबकुछ समर्पित
और मेरा भरोसे से थाम लेना ‘हाथ’ तुम्हारा
जैसे ये जोड़, बेजोड़ है अब अनंत काल के लिए....
कि ये प्रेम की खुशबू महकती रहे इस चमन में
जब भी निराशाओं के बादल चारों ओर मंडराने लगें
कि प्रेम की बूंदें झट से बरसने लगे आसमानों से
ताकि कोई आशंकित ना हो प्रेम में बह जाने से पहले....
ये मिलना ‘यूं’ भी बेहद जरूरी है हमारा तुम्हारा
कि नहीं मिल सकते चाहकर भी धरती और आकाश
कि नहीं मिल सकते हैं वो तमाम अतीत के प्रेमी
जिनकी रगों में कभी बहता था रक्त रूप में अथाह प्रेम....
कि प्रेम को दे दिया गया है ‘विकृत’ रूप जमाने में
कि प्रेम हो चुका है अभिशापित, अलोकतांत्रिक, अछूत
घृणा का ‘बीज’ चुपके से रोप दिया गया है दिलों में
प्रेम को बाज़ार ने झोंक दिया है व्यापार में मुनाफे के लिए....
ये मिलना ‘यूं’ भी बेहद जरूरी है हमारा तुम्हारा
कि हमारे हिस्से का प्रेम परिपक्व होकर अमृत बन सके
कि घृणा के बीजों को भी ‘प्रेम’ से सींचा जा सके
ताकि ये जाना जा सके कि जीवन और मृत्यु के बीच एक मात्र सत्य ‘प्रेम’ है....
❣️
✍️ हेमंत कुमार
Thursday, January 18, 2024
कहानी अनकही, ✍️ हेमंत कुमार
Saturday, January 6, 2024
ये सर्द मौसम, ✍️ हेमंत कुमार
बेचैन दिल की तमन्ना, ✍️ हेमन्त कुमार
बेचैन दिल की तमन्ना 🙇♂️🙇♂️ बेचैन दिल की तमन्ना है कि इस दिल को करार आ जाए। अब वो वक्त बीत चुका है, बस ये दिल इतना समझ जाए।। ...
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_तुम_🔆🔆 मचलता ख्वाब सी हो तुम। महकता “गुलाब” सी हो तुम।। इठलाती तितली सी हो तुम। मस्तमौला “दिल्ली” सी हो तुम। बल ~ खाती बेल सी...
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“चाँद” ⚪ “चाँद” किस किस के हो तुम....⚪ हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम.... हर किसी के इश्क में, रुसवाइयों में, उदासियो...
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इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम 🌆 🌆 अच्छा‼️ चलो तुम कहते हो तो यूं करते हैं। आज की ये इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम करते हैं।। ये उलफ...