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Friday, May 13, 2022

तुम, ✍️ हेमंत कुमार


_तुम_🔆🔆

मचलता ख्वाब सी हो तुम।
महकता “गुलाब” सी हो तुम।।

इठलाती तितली सी हो तुम।
मस्तमौला “दिल्ली” सी हो तुम।

बल ~ खाती बेल सी हो तुम।
भारतीय  “ रेल ”  सी  हो  तुम।

बेवजह ही  बेचैन सी हो तुम।
मेरे “ मन ” का चैन सी हो तुम।

मदमस्त से बादल सी हो तुम।
सच्ची में ही “पागल” सी हो तुम।

कच्ची मिट्टी के बर्तन सी हो तुम।
दिल की मेरे “धड़कन” सी हो तुम।

पतंग की मजबूत डोर सी हो तुम।
बेहद ही खुशनुमा “भोर” सी हो तुम।
🏜️🏜️

✍️ हेमंत कुमार

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