“चाँद” किस किस के हो तुम....⚪
हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम....
हर किसी के इश्क में, रुसवाइयों में, उदासियों में, इंतजार में शामिल हो तुम....
हर किसी की चेतना में, आरजू में, प्रेरणा में, मंत्रणा में शामिल हो तुम....
हर किसी से नाता तुम्हारा, किसी के महबूब, किसी के मामा, किसी के दोस्त हो तुम....
“चाँद” किस किस के हो तुम....⚪
हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम....
पतझड़ और बसंत में मद्धम सी रोशनी में इठलाते हो तुम....
भरी बरसातों में बादलों के आगोश में इश्क फरमाते हो तुम....
तपती गर्मी में मादक शीतलता और सर्दियों में तो बस कमाल करते हो तुम....
मौसम हो कोई भी, बदलते मौसमों में बदल के रूप दिलों पे सभी के राज करते हो तुम....
“चाँद” किस किस के हो तुम....⚪
हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम....
किसी के प्रिय हो तुम, किसी के अजीज हो तुम, किसी के लिए पवित्र रोशनी हो तुम....
किसी सुहागन के सुहाग के प्रतीक “करवाचौथ” के चांद हो तुम....
किसी के लिए खुदा की बख्शीश और इनाम “ईद” का चांद हो तुम....
किसी के जीवन में खुशियों और उमंग के प्रतीक “ईस्टर” के चांद हो तुम....
“चाँद” किस किस के हो तुम....⚪
हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम....
वो गरीब बच्चा जिसको तुम में रोटी दिखती है उस के भी हो तुम.....
वो निराश व्यक्ति जो अपना सब गवां चुका है उस के भी हो तुम.....
वो प्रेमिका जो प्रतीक्षारत है अपने ही प्रेमी की उस के भी हो तुम.....
वो सुहागन जिसका सुहाग देश की सीमा पे है उस के भी हो तुम.....
“चाँद” किस किस के हो तुम....⚪
हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम....
⚪⚪
✍️ हेमंत कुमार