Followers

Thursday, May 11, 2023

महफिल, ✍️ हेमंत कुमार

महफिल 🍸🍸

कौन जाने उसका महफिल में आना किस-किस को अखरने लगा।
उसने लहराई अपनी जुल्फें और हमारे जाम का रंग बदलने लगा।।

अब किसी से क्या पूछते महफिल में छाई इस मदहोशी का सबब।
अभी हमने सलीके से पीयी भी नहीं और हमें नशा चढ़ने लगा।।

कब से आखिरी सफ़ में बदहवास बैठे थे हम लेकर मय का प्याला।
किसी ने पुकारा उसका नाम और हमारी रगों में इश्क बहने लगा।।

खामोशी सी छा गई मस्ती भरी महफिल में, वो आया यूं हंसते हंसाते।
बर्फ सी जमने लगी हर तरफ़ और हमारी सांसों से धुआं निकलने लगा।।

खूबसूरती के ‘सादेपन’ का भी किसी से कोई मुकाबला ही नहीं।
उसने लगाई माथे पर बिंदिया और आसमां में चाँद चमकने लगा।।

ये कैसा अटूट रिश्ता है इन अनकहे, अनजाने, अनसुने जज्बातों का।
पेड़ों के पत्ते जरा से मुरझाए नहीं और बादलों से अमृत बरसने लगा।।
💌💌

✍️ हेमंत कुमार

Sunday, April 30, 2023

सफ़र, ✍️ हेमंत कुमार

सफ़र 🏇🏇

हर “सफ़र” में एहतियातन जरा सा संभल कर चला जाए।
बेशक हो लाख दुश्वारियां सामने, “मचल” कर चला जाए।।

बरसों–बरस से उसकी मेहमान नवाजी के ‘किस्से’ सुने हैं।
आज उस “ख्वाबों” के शहर में जरा ठहर कर चला जाए।।

ऐंठ कर बैठे हैं कुछ लोग अपनी दौलत, रुतबे के ‘गुरुर’ में।
उनके होश ठिकाने लगाने को जरा मुस्कुराकर चला जाए।।

हर ‘सफर’ में एक मांझी, एक पतवार की दरकार होती है।
अपने चाहने वालों को यकीनन साथ में ले कर चला जाए।।

एक वक़्त के बाद सब रिश्ते–नाते बोझ से लगने लगते हैं।
बेहतर तो ये है उम्मीदों का ‘वजन’ कम ले कर चला जाए।।

सफ़र में उसके साथ चलते-चलते उसे महसूस किया जाए।
जब भी मिले,उसका हाथ अपने हाथ में ले कर चला जाए।।
👫👫

✍️ हेमंत कुमार

Saturday, April 15, 2023

करार, ✍️ हेमंत कुमार

करार 🗿🗿

बदलते हुए मौसमों में इस दिल को ‘करार’ आ भी सकता है।
इस महीने में इश्क के इम्तिहान का नतीज़ा आ भी सकता है।।

हवाऐं आज~कल किसी अलग ही ‘धुन’ पर गुनगुना रही हैं।
मुमकिन है कि ऐसे ‘मौसम’ में कोई पैगाम आ भी सकता है।।

मुद्दतों बाद वो ‘कलंदर’ मस्त है अपने में, गाने में, बजाने में।
ऐसे हसीन मंजर में शायद कोई जलजला आ भी सकता है।।

‘यकीनन’ हमसे इतने ‘फासले’ से मिलना ठीक नहीं है तेरा।
कभी हम जैसे मुफलिसों का अच्छा वक़्त आ भी सकता है।।

वक़्त के बादशाहों के हाथ में रहा है नए~नए दस्तूर चलाना।
वोट की चोट ना हो तो रहनुमा मनमानी पे आ भी सकता है।।

दरिया बहते हुए पहुंच गया है बिल्कुल समंदर के मुहाने पर।
ऐसे में समंदर ‘दरिया’ की हस्ती मिटाने पे आ भी सकता है।।

बीच सफर में जरा सोच समझकर ही ‘थामना’ उसका हाथ।
उसे डुबोने का ‘इल्ज़ाम’ बेवजह तेरे सर पे आ भी सकता है।।

बस इतनी सी इल्तिज़ा है वो एक बार पुकार के देख ले बस।
लौट के मौसम बहार का इन ‘फिज़ाओं’ में आ भी सकता है।।
🎭🎭

✍️ हेमंत कुमार

Sunday, April 9, 2023

अधूरे ख़्वाब, ✍️ हेमंत कुमार


अधूरे ख़्वाब 🌌🌌

उदास शामें
जब घने अंधेरे
के आगोश में
समाने लगती हैं....

तब तुम्हारा
वही पुराना, मखमली
ख्याल अमूमन मुझे
ऐसे जकड़ लेता है....

जैसे प्रेम में
कोई बच्चा अपने
जिगरी दोस्त को
कस के बाहों में ले लेता है....

आह..! उन दिनों के 
बाद ‘हम’ कब मिल
पाए हैं फुर्सत भरी
गर्मी की लंबी शामों में....

उस मॉल में 
रेस्तरां की सबसे कोने 
वाली बेंच आज भी जैसे
हमारे इंतजार में खाली है....

बहुत लंबे
फासलों को अक्सर
गुजरते वक़्त की
रफ़्तार ही पाटती है....

वक़्त के मुकर्रर 
किए गए दिन हम-तुम 
और हमारे अधूरे ख़्वाब
ऐसे मिलेंगे....

जैसे जून के महीने में
किसी धुंधली सी शाम में
धरती और आकाश मिलते
हैं ‘क्षितिज’ के उस पार....
🏜️🏜️

✍️ हेमंत कुमार

Wednesday, March 29, 2023

लाल रंग, ✍️ हेमंत कुमार

लाल रंग ❤️‍🔥

ये लाल रंग भी कमाल है.....

ये सुकून है, खामोशी है।
ये जंग है, खून का रंग है।
ये क्रान्ति है, घोर तपस्या है।

ये लाल रंग भी कमाल है.....

ये इश्क है, रंग-ए-जमाल है।
ये गहरा आकर्षण है, खतरा है।
ये इबादत है, माथे का सिन्दूर है।

ये लाल रंग भी कमाल है.....

ये गुलाब है, चेहरे का रुआब है।
ये जलता सूरज है, तपता लोहा है।
ये माथे की बिंदी है, मन्नत का धागा है।

ये लाल रंग भी कमाल है.....

ये खौलता हुआ लावा है, असावधानी जानलेवा है।
ये सड़क पर खतरे का संकेत है, दिल की गहरी प्रीत है।
ये क्षितिज का कैनवास है, धरती और आकाश की प्यास है।

ये लाल रंग भी कमाल है.....
❣️❣️

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...