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Tuesday, September 20, 2022

जय श्री कृष्णा, ✍️ हेमंत कुमार

जय श्री कृष्णा 🪐🪐
 
हे श्री कृष्णा, मुरारी, गिरधारी, बांके बिहारी।
हम आए हैं शरण आपकी.......हे चक्रधारी।।

तुमसा दोस्त, तुमसा प्रेमी, तुमसा रखवाला।
और कौन इस जहान में...........हे गिरधारी।।

न्याय–अन्याय, धर्म–अधर्म, सत्य–असत्य।
इसका मर्म तूने ही तो बताया.....हे यादवेंद्र।।

प्रेम का राग तुमने सिखाया है इस जहान को।
हर नर और नारी में बसे हो........हे नारायण।।

कर्म का ज्ञान दिया कुरुक्षेत्र के भीषण रण में।
कर्मयोग का सार भी दिया......हे पार्थसारथी।।

हे श्री कृष्णा, मुरारी, गिरधारी, बांके बिहारी।
हम आए हैं शरण आपकी........हे चक्रधारी।।
🦚🦚

✍️ हेमंत कुमार

ए~ज़िंदगी, ✍️ हेमंत कुमार

ए~जिंदगी 🕺💃

छोटी—छोटी ‘‘ख्वाहिशें’’ ही तो की हैं तुमसे।
मैने कोई ‘‘आसमान’’ थोड़े ही मांगा है तुमसे।।

थोड़ी “बारिश”, थोड़ी धूप ही मांगी है तुमसे।
मैने कोई “कायनात” थोड़े ही मांगी है तुमसे।।

थोड़ी फुर्सत,थोड़ा “सुकून” ही मांगा है तुमसे।
मैने कोई “माह–ताब” थोड़े ही मांगा है तुमसे।।

थोड़े पुराने ‘दोस्त’,थोड़े लम्हें ही मांगे हैं तुमसे।
मैने कोई ‘तारे–सितारे’ थोड़े ही मांगे है तुमसे।।

“ए जिंदगी” बहुत ‘थोड़ा’ सा ही मांगा है तुमसे।
थोड़ी सी ‘खुशी’, थोड़ा ‘चैन’ ही मांगा है तुमसे।।

🙋‍♂️💁

✍️ हेमंत कुमार

खुशबू, ✍️ हेमंत कुमार

खुशबू  🥀🥀

महज़ उसकी ‘खुशबू’ कुछ इस कदर असर करती है।
जैसे ‘बारिश’ की वो नन्हीं बूंदें मिट्टी में बसर करती है।।

बरसों पहले लगाया था हमने इक शजर मोहब्बत का।
उसी के घने साए तले अब हमारी शामें बसर करती हैं।।

हर आते-जाते शख्स को धोखा होता रहा है नज़र का।
हमारी हर मुलाकात कुछ इस तरह का असर करती है।।

उसका अंदाज़- ए- बयां सबसे ‘जुदा’ है इस कदर का।
उसकी हर इक ‘अदा’ मेरे पांव जमीं से अधर करती है।।

अब तो हाल ये है मुझ पे उसकी अदाओं के असर का।
उसकी हर इक सांस अब मेरी सांसों में बसर करती है।।

खुदा की करामात ही मानिए वो ‘साथी’ बना सफ़र का।
उसकी कजरारी आंखें अब हर असर-बेअसर करती है।।
💟💟

✍️ हेमंत कुमार

बसर– जीवन यापन (गुजर बसर)
शजर– पेड़

बारिश, ✍️ हेमंत कुमार

बारिश 🌧️🌧️

एक अजीब सी खुशबू 
मिट्टी से आ रही है।
मेरे यहां बारिश आ रही है।।

बूंदों की टप~टप, टप~टप
की आवाज आ रही है।
रोम रोम में मस्ती छा रही है।।

पानी में दूर कागज की एक
किश्ती आ रही है।
मुझे बचपन में ले जा रही है।।

आज फिर मेरे स्कूल की
छत टपक रही है।
आज फिर मेरे मन की हो रही है।।

अब बादलों को ये कैसी 
जल्दी हो रही है।
खेतों में फसल जलमग्न हो रही है।।

लाे जिसका इंतजार था
वो भी आ रही है।
मुझे ये तेरी याद, कहां ले जा रही है।।

आज फिर बूंदों की वही
शरारत हो रही है।
आज फिर एक हिमाकत हो रही है।।
🌈🌈

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, August 23, 2022

मदहोश सावन, ✍️ हेमंत कुमार

मदहोश सावन 🌦️🌦️

ये सावन....
जिसको चाहे....
उसको मदहोश कर दे....

ये मौसम.....
जब-तब चाहे.....
मन में हिलोरे उठा दे.....

ये बादल....
जिधर चाहे....
मौसम सुहाना कर दे....

ये बारिश....
जिसको चाहे....
उसको बेहोश कर दें....

ये पतंगें.....
जिसकी छत पे चाहे.....
लहरा के प्यार के पेंचे लडा दे.....

ये तीज.....
जब बीज चाहे.....
धरती पर अंकुरित कर दे.....

ये नदियां....
जिधर चाहें....
मचलकर उधर चल दें.....

ये भक्त्ति.....
जब शिव चाहें.....
सती को पार्वती कर दें.....

ये सावन....
जिसको चाहे....
उसको मदहोश कर दे....
उसको मदहोश कर दे....
🌱🌱

✍️ हेमंत कुमार

बेचैन दिल की तमन्ना, ✍️ हेमन्त कुमार

बेचैन दिल की तमन्ना 🙇‍♂️🙇‍♂️ बेचैन दिल की तमन्ना है कि इस दिल को करार आ जाए। अब वो वक्त बीत चुका है, बस ये दिल इतना समझ जाए।। ...