एक अजीब सी खुशबू
मिट्टी से आ रही है।
मेरे यहां बारिश आ रही है।।
बूंदों की टप~टप, टप~टप
की आवाज आ रही है।
रोम रोम में मस्ती छा रही है।।
पानी में दूर कागज की एक
किश्ती आ रही है।
मुझे बचपन में ले जा रही है।।
आज फिर मेरे स्कूल की
छत टपक रही है।
आज फिर मेरे मन की हो रही है।।
अब बादलों को ये कैसी
जल्दी हो रही है।
खेतों में फसल जलमग्न हो रही है।।
लाे जिसका इंतजार था
वो भी आ रही है।
मुझे ये तेरी याद, कहां ले जा रही है।।
आज फिर बूंदों की वही
शरारत हो रही है।
आज फिर एक हिमाकत हो रही है।।
🌈🌈
✍️ हेमंत कुमार
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