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Monday, March 13, 2023

किताब, ✍️ हेमंत कुमार

किताब 📖📖

हर तरफ़ खुशबू महकाये, किताब एक ऐसी लिखी जाए।
हर एक दिल को छू जाए, मिसाल एक ऐसी लिखी जाए।।

तमाम दुनिया भरी पड़ी है किस्सों, कहानियों, फसानों की।
इन सब से जरा हट कर ‘हकीकत’ एक ऐसी लिखी जाए।।

बे-हिसाब बरसा पानी बनता है दरिया में सूरत सैलाब की।
डूबतों को बचाए कागज़ पर किश्ती एक ऐसी लिखी जाए।।

हर एक शख्स के सीने से मिट जाएं लकीरें घनी बेचैनी की।
इश्किया दिल की कलम से इबारत एक ऐसी लिखी जाए।।

लाइब्रेरियाँ भरी पड़ी हैं उदासियों के किस्से~कहानियों की।
सूखी आखों में नमी ले आए गुफ्तगू एक ऐसी लिखी जाए।।

भूल जाएं लोग अलिफ~लैला में पढ़ी दास्तानें रेगिस्तान की।
रेत के टीलों पर उंगलियों से हसरत एक ऐसी लिखी जाए।।

सबको याद रहे अपनी कहानी सुख~दुख में हिस्सेदारी की।
जिंदगी के कहकहों पर ‘कुमार’ बात एक ऐसी लिखी जाए।
📚📚

✍️ हेमंत कुमार 

Wednesday, March 8, 2023

होली मुबारक, ✍️ हेमंत कुमार

होली मुबारक 💛

होली के ‘रंग’ मुबारक, खुशियों का ये त्योहार मुबारक। 
चेहरे पर ‘मुस्कान’ मुबारक,गुजिया और भांग मुबारक।।

छोटों को पिचकारी मुबारक, बड़ों को ‘धमाल’ मुबारक।
चटोरों को पकवान मुबारक, बाकी को मिष्ठान मुबारक।।

प्रेम मुबारक, स्नेह मुबारक, सब को नई उमंग मुबारक।
आशा और विश्वास मुबारक, सब को ये होली मुबारक।।
🌀🌼🌸🌻☘️

✍️ हेमंत कुमार 

Tuesday, February 28, 2023

अंदाज ए कातिल, ✍️ हेमंत कुमार

अंदाज ए कातिल 🫶🫶

कौन है वो, कहां है वो, जिसके “तलबगार” से हैं हम।
अब उसे कहां ढूंढे, जिसके बरसों से इंतजार में हैं हम।।

जब से मिले हैं उससे, बस ‘एक-दम’ ठगे से गए हैं हम।
अंदाज-ए-कातिल ही कुछ ऐसा है और क्या बताएं हम।।

ये नजरों का धोखा नहीं, सच में, ‘जान’ से, गए हैं हम।
तुम ही कहो, इस ‘जुर्म’ की ‘रपट’ कहां लिखवाएं हम।।

तीर जाके ठीक ‘निशाने’ पर लगा है, मान से गए हैं हम।
अब इस पर कोई ‘मरहम’ लगा दे,‘बेदम’ से हो गए हम।।

जब से पुकारा है मुझे मेरे नाम से,‘पगला’ से गए हैं हम।
इतनी शिद्दत थी उस लहजे में, करें भी तो क्या करें हम।।

मामला ये दिलों का है और ‘बेपरवाह’ से हो गए हैं हम।
अब खुदा जाने क्या होगा,‘मस्तमौला’ से हो गए हैं हम।।
☘️☘️

✍️ हेमंत कुमार

Monday, February 20, 2023

आईना, ✍️ हेमंत कुमार

आईना 🧖🧖

सब के सब झूठे हैं यहां बस आईना सच बोलता है।
जब तमाम रास्ते बंद हो जाएं बस ‘हुनर’ बोलता है।।

कितनी शिद्दत थी ढलती शामों में लिखी उसकी शायरी में।
आज भी पन्ने पलटते ही उसका एक~एक हर्फ बोलता है।।

बड़ी ताकत है रुपए पैसे और सियासत के गठजोड़ में।
हुक्मरान जब भी बौखला जाए उनका तोता बोलता है।।

लड़कपन का तूफानों भरा नादानी का दौर छूट गया पीछे।
अब वो जब चुप रहता है उसकी आंखों से इश्क बोलता है।।

सुना है उसकी ‘फूलों’ से नहीं बनती, कांटों के चक्कर में।
अब ये यूंही नहीं,वक़्त के साथ उसका ‘तजुर्बा’ बोलता है।।

सूखे पत्तों सा बिखरा हुआ है वो अपने ही महीन लिबास में।
जब भी वो कहीं उलझने लगता है ‘आईना’ सच बोलता है।।
🤳🤳

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, February 7, 2023

मेरे सपनों की दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

मेरे सपनों की दुनिया 🧞🧜

आओ किसी दिन मेरे सपनों की दुनिया में.....
चलो मिलते हैं मेरे सपनों की दुनिया में.....

चलेंगे सितारों के जहान में बांहों में बांहे डाल के.....
सारी रात बिताएंगे उस गुलिस्तान में.....
जहां ना कोई हमें रोकने~टोकने वाला हो.....
जहां मैं तेरे आगोश में बैठा रहूं.....
तुम गाती रहो, मुस्कुराती रहो.....
और मैं तुम्हें देख के गुनगुनाता रहूं.....
सुबह तलक हम होश में ना आएं.....

फिर अचानक से दिन की हो दस्तक.....
इधर मेरी आंख खुले और मेरा कमरा 
तेरी खुशबू से भर जाए.....
और उधर तुम्हारा दिल जोर से धड़के 
और तुम्हें मेरे नाम की हिचकी आ जाए.....
तुम मुझे याद करके मंद~मंद मुस्कुराओ 
और तुम्हारे चेहरे पे नूर उतर आए.....

आओ किसी दिन मेरे सपनों की दुनिया में.....
चलो मिलते हैं मेरे सपनों की दुनिया में.....
💫💫

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...