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Monday, February 20, 2023

आईना, ✍️ हेमंत कुमार

आईना 🧖🧖

सब के सब झूठे हैं यहां बस आईना सच बोलता है।
जब तमाम रास्ते बंद हो जाएं बस ‘हुनर’ बोलता है।।

कितनी शिद्दत थी ढलती शामों में लिखी उसकी शायरी में।
आज भी पन्ने पलटते ही उसका एक~एक हर्फ बोलता है।।

बड़ी ताकत है रुपए पैसे और सियासत के गठजोड़ में।
हुक्मरान जब भी बौखला जाए उनका तोता बोलता है।।

लड़कपन का तूफानों भरा नादानी का दौर छूट गया पीछे।
अब वो जब चुप रहता है उसकी आंखों से इश्क बोलता है।।

सुना है उसकी ‘फूलों’ से नहीं बनती, कांटों के चक्कर में।
अब ये यूंही नहीं,वक़्त के साथ उसका ‘तजुर्बा’ बोलता है।।

सूखे पत्तों सा बिखरा हुआ है वो अपने ही महीन लिबास में।
जब भी वो कहीं उलझने लगता है ‘आईना’ सच बोलता है।।
🤳🤳

✍️ हेमंत कुमार

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