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Saturday, December 31, 2022

स्टाइल ए यार, ✍️ हेमंत कुमार

स्टाइल ए यार 🕺🕺

उमड़ते समंदरों का ‘साहिल’ होना शौक में शुमार है उसके।
शोहरतों की फेहरिस्त में शामिल होना मिज़ाज में है उसके।।

प्यार, इश्क और मोहब्बत की अलग ही परिभाषा गढ़ता है। 
दिल-विल लगाने के बिल्कुल अलग से ही हैं अंदाज उसके।।

जिंदगी को अजीब सी, उलझी हुई सी पहेली बना के रखा है।
सबसे अलग हटके ही तय किए गए होंगे सब आयाम उसके।।

दौलत बेशुमार लिखी है किस्मत में, रुपया एक नहीं होता है।
बस आज की ही फिक्र करता है, देखो कैसे ख्याल हैं उसके।।

ढंग उसका लिखने-लिखाने का बेतकल्लुफ,बेतरतीब सा है।
सिर्फ दिल ही नहीं अपनी ‘कलम’ भी कहाँ बस में है उसके।।

स्टाइल -ए- यार ऐसा है कि सब से गले लग के मिलता है।
प्रेम की ऐसी गंगा बहाता है कि सब लोग ‘मुरीद’ हैं उसके।।
🤟🤟

✍️ हेमंत कुमार

कितना मुश्किल होता है ना!, ✍️ हेमंत कुमार


कितना मुश्किल होता है ना! 💫💫

कितना मुश्किल होता है ना!
उसी के शहर से गुजरना....
उसे बताए बगैर....
और उसे ही याद ना करते हुए....

कितना मुश्किल होता है ना!
अपनों से सारे गम छुपाना....
मुस्कुराते हुए रहना....
और खुद को कमज़ोर ना होने देना....

कितना मुश्किल होता है ना!
सुबह-सुबह पार्क में टहलना....
ओस की बूंदों को छूना....
और किसी का स्पर्श महसूस ना होना....

कितना मुश्किल होता है ना!
छुट्टी के दिन घर में सुस्ताना....
फुर्सत से कॉफी पीना....
और कोई भी खास लम्हा याद ना आना....

कितना मुश्किल होता है ना!
सांझ ढले छत पर घूमना....
धीमे से गाने गुनगुनाना....
और दिल में किसी का अक्स ना बनना....

कितना मुश्किल होता है ना!
ढलती शाम में सूरज को देखना....
पलक झपकाए बिना....
और हौसलों का जरा सा भी कम ना होना....

कितना मुश्किल होता है ना!
बड़े से पेड़ का एकदम ठूंठ हो जाना....
धीरे-धीरे मर जाना....
और किसी के कोई ‘काम’ ना आना....


कितना मुश्किल होता है ना! 
किसी साल का ऐसे गुजर जाना....
बिल्कुल खामोश होकर....
और खाली हाथ में सिर्फ लकीरें रह जाना....

हाँ‼️सच में बहुत मुश्किल होता है....
सब कुछ छोड़ कर सफ़र पर निकल लेना....
कुछ पाने के लिए नहीं....
सब कुछ “खो” देने के लिए.....
🍂🍂

✍️ हेमंत कुमार

Thursday, November 24, 2022

उन्मुक्त प्रेम, ✍️ हेमंत कुमार

उन्मुक्त_प्रेम 👩‍❤️‍👨

प्रेम में मैंने
कई बार नाकाम
कोशिश की, तुम्हें 
‘बांधने’ की एक
रेशमी डोर से.....

.....पर ऐसा 
हो नहीं पाया...!!

......क्योंकि......

.....कौन रोक 
पाता है भला...??

बहती नदी को....
मचलते समुंद्र को....
उड़ते पंछियों को....
उमड़ते ख्वाबों को....
चलती हवा को....
उड़ती अफ़वाह को....
कटती पतंग को....

.....मैं भी नहीं 
रोक पाया तुम्हें.....
.....पर लगता है.....
जो हुआ, सही हुआ.....

प्रेम में उन्मुक्त
होकर आज मैं....
पहले से ज्यादा
प्रेम करता हूं
तुम्हें....

बिना किसी
खो जाने के
भय के.....

बिना किसी
मिलने की 
आस के.....

बिना किसी
नाराज़ होने के
डर के.....

बिना किसी
तेरे होने के
भ्रम के.....

प्रेम में
उन्मुक्त होना
वाकई कठिन है.....
पर उन्मुक्त होकर
‘सरल’ होना
तुमसे सीखा है मैंने.....
🍁🍁

✍️ हेमंत कुमार

इंतजार, ✍️ हेमंत कुमार

इंतज़ार ⚪ ⚪

जो सबब “इंतज़ार” का हो, क्या-क्या ना कर जाऊं मैं।
इक पल के लिए ही सही,बस यहीं “ठहर” सा जाऊं मैं।।

शरद पूर्णिमा का ‘चाँद’ है वो बाद मुद्दत के नजर आएगा।
खत्म होगा ‘इंतजार’, वो यूं दूधिया रोशनी बिखेर जाएगा।

ये “लाजमी” है कि दूर तलक वो मेरा साथ निभाएगा।
आखिर “उसको” मालूम है कि ये रास्ता कहां जायेगा।।

बस इस “कदर” नाराज़गी हो जाए कि, वो रूठ जाए।
हमें भी अपना “हुनर” आजमाने का मौका मिल जाए।।

‘‘रिश्तों’’ में कहीं इस कदर की कशीदगी ना बढ़ जाए।
कहीं “तू” रूठना भूल जाए और वो मनाना भूल जाए।।

हर “सफर” में ये जरूरी नहीं कि, हमसफर साथ ही हो।
पर ये मुमकिन है ऐसे किसी सफर में कोई “हादसा” हो।।

अब यूं ना हो बीत जाएं सारे हसीन लम्हें इस “तूफान” में।
और यहां हम उलझे बैठे रहें सिर्फ इक तेरे “इंतजार” में।।
🧖🧏

✍️ हेमंत कुमार

यादों की महक, ✍️ हेमंत कुमार

यादों की महक 👣👣

ये गुनगुनी सर्दी, बदलता मौसम,
और अलसायी हुई सी ‘यादों’ की महक।

ये जगमग दीये, चमकती लाइटें, 
और कसमसाई हुई सी लड़ियों की चहक।

ये उलझते रिश्ते,मचलते जज़्बात,
और सरसराती हुई सी ‘हवा’ की रहक।

ये सब बहा ले जाते हैं....
यादों के एक अथाह समुंद्र में....!!

          जहां मिलते हैं “यादों के खजाने”
      जहां मिलते हैं “कॉफी के दीवाने”
जहां मिलते हैं “उम्मीदों के किनारे”
   जहां मिलते हैं “धरती और आकाश”
    जहां मिलते हैं “हमारे होने के निशान”

इन सब के बीच नहीं मिलता यादों का वो छोर
जिसे पकड़ कर मैं पहुंच सकूं तुम तक 
और जला सकूं तुम्हारे संग एक प्रेम का दीया। 🪔
✨✨

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...