ये गुनगुनी सर्दी, बदलता मौसम,
और अलसायी हुई सी ‘यादों’ की महक।
ये जगमग दीये, चमकती लाइटें,
और कसमसाई हुई सी लड़ियों की चहक।
ये उलझते रिश्ते,मचलते जज़्बात,
और सरसराती हुई सी ‘हवा’ की रहक।
ये सब बहा ले जाते हैं....
यादों के एक अथाह समुंद्र में....!!
जहां मिलते हैं “यादों के खजाने”
जहां मिलते हैं “कॉफी के दीवाने”
जहां मिलते हैं “उम्मीदों के किनारे”
जहां मिलते हैं “धरती और आकाश”
जहां मिलते हैं “हमारे होने के निशान”
इन सब के बीच नहीं मिलता यादों का वो छोर
जिसे पकड़ कर मैं पहुंच सकूं तुम तक
और जला सकूं तुम्हारे संग एक प्रेम का दीया। 🪔
✨✨
✍️ हेमंत कुमार
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