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Saturday, December 31, 2022

कितना मुश्किल होता है ना!, ✍️ हेमंत कुमार


कितना मुश्किल होता है ना! 💫💫

कितना मुश्किल होता है ना!
उसी के शहर से गुजरना....
उसे बताए बगैर....
और उसे ही याद ना करते हुए....

कितना मुश्किल होता है ना!
अपनों से सारे गम छुपाना....
मुस्कुराते हुए रहना....
और खुद को कमज़ोर ना होने देना....

कितना मुश्किल होता है ना!
सुबह-सुबह पार्क में टहलना....
ओस की बूंदों को छूना....
और किसी का स्पर्श महसूस ना होना....

कितना मुश्किल होता है ना!
छुट्टी के दिन घर में सुस्ताना....
फुर्सत से कॉफी पीना....
और कोई भी खास लम्हा याद ना आना....

कितना मुश्किल होता है ना!
सांझ ढले छत पर घूमना....
धीमे से गाने गुनगुनाना....
और दिल में किसी का अक्स ना बनना....

कितना मुश्किल होता है ना!
ढलती शाम में सूरज को देखना....
पलक झपकाए बिना....
और हौसलों का जरा सा भी कम ना होना....

कितना मुश्किल होता है ना!
बड़े से पेड़ का एकदम ठूंठ हो जाना....
धीरे-धीरे मर जाना....
और किसी के कोई ‘काम’ ना आना....


कितना मुश्किल होता है ना! 
किसी साल का ऐसे गुजर जाना....
बिल्कुल खामोश होकर....
और खाली हाथ में सिर्फ लकीरें रह जाना....

हाँ‼️सच में बहुत मुश्किल होता है....
सब कुछ छोड़ कर सफ़र पर निकल लेना....
कुछ पाने के लिए नहीं....
सब कुछ “खो” देने के लिए.....
🍂🍂

✍️ हेमंत कुमार

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