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Thursday, November 24, 2022

यादों की महक, ✍️ हेमंत कुमार

यादों की महक 👣👣

ये गुनगुनी सर्दी, बदलता मौसम,
और अलसायी हुई सी ‘यादों’ की महक।

ये जगमग दीये, चमकती लाइटें, 
और कसमसाई हुई सी लड़ियों की चहक।

ये उलझते रिश्ते,मचलते जज़्बात,
और सरसराती हुई सी ‘हवा’ की रहक।

ये सब बहा ले जाते हैं....
यादों के एक अथाह समुंद्र में....!!

          जहां मिलते हैं “यादों के खजाने”
      जहां मिलते हैं “कॉफी के दीवाने”
जहां मिलते हैं “उम्मीदों के किनारे”
   जहां मिलते हैं “धरती और आकाश”
    जहां मिलते हैं “हमारे होने के निशान”

इन सब के बीच नहीं मिलता यादों का वो छोर
जिसे पकड़ कर मैं पहुंच सकूं तुम तक 
और जला सकूं तुम्हारे संग एक प्रेम का दीया। 🪔
✨✨

✍️ हेमंत कुमार

करवा चौथ, ✍️ हेमंत कुमार

करवा चौथ 🥰🌛

ये पुर-सुकून ‘मन’
और करवा चौथ के 
चाँद का ‘इंतजार’.....⚪

ऐसे, जैसे मानो शादीशुदा
जोड़ों का ‘वेलेंटाइन-डे’.....🎋

दिन-भर मन में हिलोरे 
उठाता भावनाओं का इक 
ऐसा ज्वार, जो क्षण भर में
शांत हो जाता है उगते हुए
“चाँद” को अर्क देकर और
पीछे छोड़ जाता है एक बहुत 
ही मजबूत और पक्के रिश्ते की 
“आधारशिला” और....👩‍❤️‍👨

फिर से अगले बरस के
लिए करवा चौथ के 
चाँद का ‘इंतजार’ और.....
एक पुर-सुकून ‘मन’ ❤️
🌸🌸

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, September 20, 2022

जय श्री कृष्णा, ✍️ हेमंत कुमार

जय श्री कृष्णा 🪐🪐
 
हे श्री कृष्णा, मुरारी, गिरधारी, बांके बिहारी।
हम आए हैं शरण आपकी.......हे चक्रधारी।।

तुमसा दोस्त, तुमसा प्रेमी, तुमसा रखवाला।
और कौन इस जहान में...........हे गिरधारी।।

न्याय–अन्याय, धर्म–अधर्म, सत्य–असत्य।
इसका मर्म तूने ही तो बताया.....हे यादवेंद्र।।

प्रेम का राग तुमने सिखाया है इस जहान को।
हर नर और नारी में बसे हो........हे नारायण।।

कर्म का ज्ञान दिया कुरुक्षेत्र के भीषण रण में।
कर्मयोग का सार भी दिया......हे पार्थसारथी।।

हे श्री कृष्णा, मुरारी, गिरधारी, बांके बिहारी।
हम आए हैं शरण आपकी........हे चक्रधारी।।
🦚🦚

✍️ हेमंत कुमार

ए~ज़िंदगी, ✍️ हेमंत कुमार

ए~जिंदगी 🕺💃

छोटी—छोटी ‘‘ख्वाहिशें’’ ही तो की हैं तुमसे।
मैने कोई ‘‘आसमान’’ थोड़े ही मांगा है तुमसे।।

थोड़ी “बारिश”, थोड़ी धूप ही मांगी है तुमसे।
मैने कोई “कायनात” थोड़े ही मांगी है तुमसे।।

थोड़ी फुर्सत,थोड़ा “सुकून” ही मांगा है तुमसे।
मैने कोई “माह–ताब” थोड़े ही मांगा है तुमसे।।

थोड़े पुराने ‘दोस्त’,थोड़े लम्हें ही मांगे हैं तुमसे।
मैने कोई ‘तारे–सितारे’ थोड़े ही मांगे है तुमसे।।

“ए जिंदगी” बहुत ‘थोड़ा’ सा ही मांगा है तुमसे।
थोड़ी सी ‘खुशी’, थोड़ा ‘चैन’ ही मांगा है तुमसे।।

🙋‍♂️💁

✍️ हेमंत कुमार

खुशबू, ✍️ हेमंत कुमार

खुशबू  🥀🥀

महज़ उसकी ‘खुशबू’ कुछ इस कदर असर करती है।
जैसे ‘बारिश’ की वो नन्हीं बूंदें मिट्टी में बसर करती है।।

बरसों पहले लगाया था हमने इक शजर मोहब्बत का।
उसी के घने साए तले अब हमारी शामें बसर करती हैं।।

हर आते-जाते शख्स को धोखा होता रहा है नज़र का।
हमारी हर मुलाकात कुछ इस तरह का असर करती है।।

उसका अंदाज़- ए- बयां सबसे ‘जुदा’ है इस कदर का।
उसकी हर इक ‘अदा’ मेरे पांव जमीं से अधर करती है।।

अब तो हाल ये है मुझ पे उसकी अदाओं के असर का।
उसकी हर इक सांस अब मेरी सांसों में बसर करती है।।

खुदा की करामात ही मानिए वो ‘साथी’ बना सफ़र का।
उसकी कजरारी आंखें अब हर असर-बेअसर करती है।।
💟💟

✍️ हेमंत कुमार

बसर– जीवन यापन (गुजर बसर)
शजर– पेड़

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...