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Thursday, November 24, 2022

उन्मुक्त प्रेम, ✍️ हेमंत कुमार

उन्मुक्त_प्रेम 👩‍❤️‍👨

प्रेम में मैंने
कई बार नाकाम
कोशिश की, तुम्हें 
‘बांधने’ की एक
रेशमी डोर से.....

.....पर ऐसा 
हो नहीं पाया...!!

......क्योंकि......

.....कौन रोक 
पाता है भला...??

बहती नदी को....
मचलते समुंद्र को....
उड़ते पंछियों को....
उमड़ते ख्वाबों को....
चलती हवा को....
उड़ती अफ़वाह को....
कटती पतंग को....

.....मैं भी नहीं 
रोक पाया तुम्हें.....
.....पर लगता है.....
जो हुआ, सही हुआ.....

प्रेम में उन्मुक्त
होकर आज मैं....
पहले से ज्यादा
प्रेम करता हूं
तुम्हें....

बिना किसी
खो जाने के
भय के.....

बिना किसी
मिलने की 
आस के.....

बिना किसी
नाराज़ होने के
डर के.....

बिना किसी
तेरे होने के
भ्रम के.....

प्रेम में
उन्मुक्त होना
वाकई कठिन है.....
पर उन्मुक्त होकर
‘सरल’ होना
तुमसे सीखा है मैंने.....
🍁🍁

✍️ हेमंत कुमार

इंतजार, ✍️ हेमंत कुमार

इंतज़ार ⚪ ⚪

जो सबब “इंतज़ार” का हो, क्या-क्या ना कर जाऊं मैं।
इक पल के लिए ही सही,बस यहीं “ठहर” सा जाऊं मैं।।

शरद पूर्णिमा का ‘चाँद’ है वो बाद मुद्दत के नजर आएगा।
खत्म होगा ‘इंतजार’, वो यूं दूधिया रोशनी बिखेर जाएगा।

ये “लाजमी” है कि दूर तलक वो मेरा साथ निभाएगा।
आखिर “उसको” मालूम है कि ये रास्ता कहां जायेगा।।

बस इस “कदर” नाराज़गी हो जाए कि, वो रूठ जाए।
हमें भी अपना “हुनर” आजमाने का मौका मिल जाए।।

‘‘रिश्तों’’ में कहीं इस कदर की कशीदगी ना बढ़ जाए।
कहीं “तू” रूठना भूल जाए और वो मनाना भूल जाए।।

हर “सफर” में ये जरूरी नहीं कि, हमसफर साथ ही हो।
पर ये मुमकिन है ऐसे किसी सफर में कोई “हादसा” हो।।

अब यूं ना हो बीत जाएं सारे हसीन लम्हें इस “तूफान” में।
और यहां हम उलझे बैठे रहें सिर्फ इक तेरे “इंतजार” में।।
🧖🧏

✍️ हेमंत कुमार

यादों की महक, ✍️ हेमंत कुमार

यादों की महक 👣👣

ये गुनगुनी सर्दी, बदलता मौसम,
और अलसायी हुई सी ‘यादों’ की महक।

ये जगमग दीये, चमकती लाइटें, 
और कसमसाई हुई सी लड़ियों की चहक।

ये उलझते रिश्ते,मचलते जज़्बात,
और सरसराती हुई सी ‘हवा’ की रहक।

ये सब बहा ले जाते हैं....
यादों के एक अथाह समुंद्र में....!!

          जहां मिलते हैं “यादों के खजाने”
      जहां मिलते हैं “कॉफी के दीवाने”
जहां मिलते हैं “उम्मीदों के किनारे”
   जहां मिलते हैं “धरती और आकाश”
    जहां मिलते हैं “हमारे होने के निशान”

इन सब के बीच नहीं मिलता यादों का वो छोर
जिसे पकड़ कर मैं पहुंच सकूं तुम तक 
और जला सकूं तुम्हारे संग एक प्रेम का दीया। 🪔
✨✨

✍️ हेमंत कुमार

करवा चौथ, ✍️ हेमंत कुमार

करवा चौथ 🥰🌛

ये पुर-सुकून ‘मन’
और करवा चौथ के 
चाँद का ‘इंतजार’.....⚪

ऐसे, जैसे मानो शादीशुदा
जोड़ों का ‘वेलेंटाइन-डे’.....🎋

दिन-भर मन में हिलोरे 
उठाता भावनाओं का इक 
ऐसा ज्वार, जो क्षण भर में
शांत हो जाता है उगते हुए
“चाँद” को अर्क देकर और
पीछे छोड़ जाता है एक बहुत 
ही मजबूत और पक्के रिश्ते की 
“आधारशिला” और....👩‍❤️‍👨

फिर से अगले बरस के
लिए करवा चौथ के 
चाँद का ‘इंतजार’ और.....
एक पुर-सुकून ‘मन’ ❤️
🌸🌸

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...