जमाने को लगी है ऐसे वायरस की हवा....
जिसकी अभी तक ना बनी है कोई दवा....
क्या मालूम कैसी~कैसी है ये बला....
जो भी जरा सा ना संभल के चला....
उसी से ही जिंदगी हो जाती है खफा....
देखते ही देखते फेफड़े हो जाते हैं बेवफा....!!!
क्या फिर अब दुआ से ही काम चलेगा... ??
या फिर दवा कंपनियों का खेल ही चलेगा... ??
कब तक दुनिया में खौफ का आलम रहेगा... ??
क्या कभी उम्मीद का सूरज भी यहां उगेगा... ??
कैसे इन हांफते फेफड़ों को सहारा मिलेगा... ??
वैक्सीन तो आ गई है, यकीनन फायदा तो मिलेगा....
हैं सब सुकून की तलाश में, क्या वो भी यहां मिलेगा....
हौंसला मिल रहा है हर तरफ से कि आराम मिलेगा....
हूं मैं भी....
इसी उम्मीद में कि मेरे मौला से कोई इशारा मिलेगा....
मिटेगा ये वायरस दुनिया से,
सांसों को, निश्चित ही, फिर से नया जीवन मिलेगा....!!!
🏵️🏵️
✍️ हेमंत कुमार
No comments:
Post a Comment