यूं हौंसला ना छोड़....यूं खौफ में ना जी...
यकीं मान....भरोसा रख....
ये फिदरत है वक्त की...जैसा भी हो बीत जायेगा....
क्यों तू नाउम्मीद हो रहा बंदे....??
एक ही इम्तिहान में तू घबरा रहा....
हौंसला अब तेरा कहां गया....
तू तो उम्मीद है औरों की....
तू ही अभी से लड़खड़ा गया....
कर हौंसला बुलंद और टकरा जा आंधियों से....
हर वक्त इन हाकीमों की खैरात के भरोसे ना रह....
बाद में टकरा लेंगे हम इन अहले सियासत से....
अभी तो बस तू एहतियातन जरा संभल के रह....
हर मुकाबला सामने से किया जाता नहीं....
हर युद्ध तीर, तलवारों से लड़ा जाता नहीं....
है मुनासिब यही आज इंसान के लिए....
जो हो सके तो घर पे ही रहे....
मालूम है हमें....
बहुत मुश्किल है, पर इस कठिनाई को सहे....
गर करना पड़े दुश्मन का सामने से मुकाबला....
पहले फेफड़ों में हिम्मत की आक्सीजन भरे....
फिर एहतियातन नाक, मुंह को भरोसे के वस्त्र से ढके....
बार~बार हाथों को साबुन या सेनिटाइजर से धोता रहे....
खान~पान हो ऐसा, एकदम शुद्ध सात्विक जैसा....
गर हो बुखार, तू घबराना नही....
पैरासिटामोल लेना तू भूल जाना नही....
टेस्टिंग से तू बिल्कुल कतराना नही....
गर हो गया हो दुश्मन का हमला....
कतई तू डरना नही....गर लक्षण हैं हल्के....
काढ़ा, हल्दी का दूध, भाप, गिलोय से ही हो जायेगा इलाज बस तु हौंसले से हटना नही....
संक्रमण हो गया हो ज्यादा, तो डॉक्टर से बचना नहीं....
10~12 दिन की ही उम्र है इस नामुराद वायरस की....
बस तू इम्यूनिटी को किसी भी हाल में कम होने देना नही....
यूं हौंसला ना छोड़....यूं खौफ में ना जी...
यकीं मान...भरोसा रख....
ये दौर है इम्तिहानों का....उम्मीद के चिराग जलाए रख...
ये फिदरत है वक्त की...जैसा भी हो बीत जायेगा....
कल फिर एक नई सुबह का सूरज जगमगाएगा....
🌻🌻
✍️ हेमंत कुमार
No comments:
Post a Comment