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Friday, November 26, 2021

लाज़वाब, ✍️ हेमंत कुमार

लाज़वाब‼️ 🌟🌟 

झील सी आँखें और इनमें तैरते ख्वाब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️ 

हंसता हुआ चेहरा और उसपे ये रुआब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️ 

लहजा ए अदब का कहां है कोई जवाब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️ 

नजर आते हो ऐसे जैसे खिलता गुलाब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️ 

रुतबा आपका ऐसा जैसे हो कोई नवाब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️

अब आपको और क्या~क्या दें खिताब 

लाज़वाब! लाज़वाब‼️ 
❤️❤️

✍️ हेमंत कुमार

Wednesday, November 24, 2021

इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम, ✍️ हेमंत कुमार

इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम 🌆 🌆

अच्छा‼️ चलो तुम कहते हो तो यूं करते हैं। 
आज की ये इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम करते हैं।। 

ये उलफतें, अदावतें तो यूं ही चलती रहती हैं। 
आज घड़ी दो घड़ी सिर्फ प्यार की बातें करते हैं।।

गुनगुनी सर्दी और हल्का सा कोहरा छा रहा है। 
आज ये मस्त मौसम सिर्फ तुम्हारे नाम करते हैं।।

आदतन हम किसी पर भी एतबार नही करते हैं।
आज तुम कहो और हम सिर्फ तुम्हारी ही सुनते हैं।।

साथ निभाने का हम कभी वादा तो नहीं करते हैं।
आज जहां चाहो ले चलो सिर्फ तुम्हारे साथ चलते हैं।।

धीमी सी आंच पर दो कड़क सी चाय बनाते हैं। 
आज तुम्हारे साथ बैठकर सिर्फ तुम्हारा इंतजार करते हैं।। 

बहुत लंबे अरसे के बाद शाम ये सुहानी आई है।
आज कुछ और नहीं सिर्फ अपना बकाया हिसाब करते हैं।। 
☕☕ 

 ✍️ हेमंत कुमार 
 
उलफत= मोहब्बत अदावात=दुश्मनी

Tuesday, November 23, 2021

झूठा सच, ✍️ हेमंत कुमार

झूठा सच 🔰🔰

झूठ का बाजार गर्म है। 
सच का प्रभाव कम है। 

तुम भी कर लो दो दो हाथ....! 

लोग अभी सोए हुए है। 
सब अभी खोए हुए है। 

तुम भी कर लो दो दो हाथ....! 

धर्म की अफ़ीम बिकी है। 
कर्म की यहां बुरी गति है।

तुम भी कर लो दो दो हाथ....! 

अभी ये दौर नया–2 है। 
अभी ये रोग नया–2 है। 

तुम भी कर लो दो दो हाथ....! 

सच भी चल निकले..... 
झूठ भी हो जाए पस्त, गर.....💭💭 

तुम भी कर लो दो दो हाथ........‼️ 
🤸🏋️🤸 

✍️ हेमंत कुमार

Monday, November 22, 2021

कभी तो आओ तुम, ✍️ हेमंत कुमार

कभी_तो_आओ_तुम....✨✨ 

तमन्नाओं की महफिल सजाई है हमने 
कभी तो आओ तुम.... 
दूर बैठे मंद~मंद ना मुस्कराओ तुम। 

तेरे दीदार को कब से तरस रहें हैं हम 
कभी तो आओ तुम....
अपनी टेढ़ी बातों में ना उलझाओ तुम।

इश्क बरस रहा है बादलों से हर तरफ़ 
कभी तो आओ तुम....
उलझे हुए ख्यालों को सुलझाओ तुम।

क्या मालूम कौन सी शाम आखिरी हो
कभी तो आओ तुम....
अपनों की महफिल से ना कतराओ तुम।

कौन मुसाफ़िर ठहरा है बहुत लंबा यहां
कभी तो आओ तुम....
अब, खुद को, यूं ही ना आजमाओ तुम। 

कभी तो आओ तुम....
🌻🌻

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...