उसकी कहानी में इक “गज़ब” का किरदार हूं मैं।
उसकी कहानी में इक ‘असल’ का दिलदार हूं मैं।।
आए बहुत से “आनी-फ़ानी” उसकी जिन्दगी में।
उसकी हर सुनी अनसुनी कहानी में नमूदार हूं मैं।।
कच्चा पक्का सा इश्क रहा है कच्ची पक्की उम्रों में।
उसकी सारी आधी-अधूरी चाहतों का हकदार हूं मैं।।
अजीब सी कशिश और नादानी है मेरी चाहतों में।
उसकी हर मौसम की बेवफ़ाईयों में वफादार हूं मैं।।
लबों पर आके कुछ ठहर सा जाता है मेरी सांसों में।
उसकी तमाम अनकही कहानियों का राजदार हूं मैं।।
वक्त की रवानी में, जवानी में, इस ढलती जिंदगानी में।
उसकी हर कहानी में इक किस्सा बेहद ‘यादगार’ हूं मैं।।
❤️
✍️ हेमंत कुमार
फ़ानी- नष्ट होने वाला.....
नमूदार- नितांत साफ़, जो स्पष्ट दिखाई देता हो.....