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Monday, February 20, 2023

आईना, ✍️ हेमंत कुमार

आईना 🧖🧖

सब के सब झूठे हैं यहां बस आईना सच बोलता है।
जब तमाम रास्ते बंद हो जाएं बस ‘हुनर’ बोलता है।।

कितनी शिद्दत थी ढलती शामों में लिखी उसकी शायरी में।
आज भी पन्ने पलटते ही उसका एक~एक हर्फ बोलता है।।

बड़ी ताकत है रुपए पैसे और सियासत के गठजोड़ में।
हुक्मरान जब भी बौखला जाए उनका तोता बोलता है।।

लड़कपन का तूफानों भरा नादानी का दौर छूट गया पीछे।
अब वो जब चुप रहता है उसकी आंखों से इश्क बोलता है।।

सुना है उसकी ‘फूलों’ से नहीं बनती, कांटों के चक्कर में।
अब ये यूंही नहीं,वक़्त के साथ उसका ‘तजुर्बा’ बोलता है।।

सूखे पत्तों सा बिखरा हुआ है वो अपने ही महीन लिबास में।
जब भी वो कहीं उलझने लगता है ‘आईना’ सच बोलता है।।
🤳🤳

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, February 7, 2023

मेरे सपनों की दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

मेरे सपनों की दुनिया 🧞🧜

आओ किसी दिन मेरे सपनों की दुनिया में.....
चलो मिलते हैं मेरे सपनों की दुनिया में.....

चलेंगे सितारों के जहान में बांहों में बांहे डाल के.....
सारी रात बिताएंगे उस गुलिस्तान में.....
जहां ना कोई हमें रोकने~टोकने वाला हो.....
जहां मैं तेरे आगोश में बैठा रहूं.....
तुम गाती रहो, मुस्कुराती रहो.....
और मैं तुम्हें देख के गुनगुनाता रहूं.....
सुबह तलक हम होश में ना आएं.....

फिर अचानक से दिन की हो दस्तक.....
इधर मेरी आंख खुले और मेरा कमरा 
तेरी खुशबू से भर जाए.....
और उधर तुम्हारा दिल जोर से धड़के 
और तुम्हें मेरे नाम की हिचकी आ जाए.....
तुम मुझे याद करके मंद~मंद मुस्कुराओ 
और तुम्हारे चेहरे पे नूर उतर आए.....

आओ किसी दिन मेरे सपनों की दुनिया में.....
चलो मिलते हैं मेरे सपनों की दुनिया में.....
💫💫

✍️ हेमंत कुमार

Saturday, February 4, 2023

उम्मीद की सड़क, ✍️ हेमंत कुमार

उम्मीद की सड़क 🛣️🛣️

इस गांव से जो ये उम्मीद की सड़क शहर को जाती है।
ना जाने कितने रंग~बिरंगे ‘सपनों’ को पंख लगाती है।।

वो लड़की जो बीते बरस कम्प्यूटर सीखने जाती थी।
अब अपनी उंगलियों पर उस कम्प्यूटर को नचाती है।।

वो मां जिसका कलेजा.....
उसके वापस ना आने तक धक~धक करता था।
आज उसकी कामयाबी पर फूले नहीं समाती है।।

वो लड़का जो चार बरस पहले शहर कुछ बनने गया था।
अब हिन्दुस्तान की फ़ौज में एक बड़ा ‘अफसर’ बना है।।

वो बाप जो दिन रात....
बस इस सोंच में रहता था कि ये कर्ज कैसे उतरेगा।
आज बडे ही गर्व से अपनी ‘मूंछों’ पर ताव देता है।।

वो किसान जिसकी फसलें खेत में ही सड़ जाती थीं।
अब कुछ मिनटों में शहर की मंडी में पहुंच जाती हैं।।

वो बच्चा जो हमेशा....
बस इस उम्मीद में रहता था काश मैं भी स्कूल जा पाऊं।
आज नई कमीज पहन कर साइकिल से स्कूल जाता है।।

वो डॉक्टरनी जो गांव में आने से सदा ही कतराती थी।
अब बस से गांव में समय से पहले दौड़ी चली आती है।

वो बूढ़ी दादी जो....
बस अपनी बीमारी को लेकर हमेशा परेशां ही रहती थी।
आज अपने पोते संग खूब खेलती, हंसती, मुस्कुराती है।।

यकीनन.....
उस शहर से जो ये उम्मीद की सड़क गांव को आती है।
ना जाने कितने हताश हुए दिलों को मरहम लगाती है।।
🧑‍⚕️👩‍🔬🧑‍✈️👩‍💻

✍️ हेमंत कुमार

Saturday, December 31, 2022

काश....!!!, ✍️ हेमंत कुमार

काश....!!! 🍁🍁

काश! मैं पहन सकूं
मुलायम, उजली-उजली 
नर्म धूप को और
बंदोबस्त कर सकूं....
आने वाली ‘कड़कड़ाती’
सर्दियों का।

काश! मैं जला सकूं
पुरानी, दिलकश, खुशनुमा
यादों को और 
इंतजार कर सकूं....
फिर से नई कोपलें खिलाने वाले
मौसम का।

काश! मैं पुकार सकूं
खुद को तुम्हारा नाम लेकर
चुपके से और
अहसास कर सकूं.....
तुम्हारी अनकही, अनसुनी
पीड़ा का।

काश! मैं लिख सकूं
अपनी कलम से तुम्हारा हाल
हू-ब-हू और
स्थापित कर सकूं.....
सही मायनों में नया आयाम   
इबादत का।

काश! मैं उतार सकूं
अपनी खुरदरी हो चुकी त्वचा
खुरच कर और
महसूस कर सकूं.....
आनंद गिले-शिकवों, नाउम्मीदी के 
जाने का।

काश! मैं पहन सकूं
मुलायम, उजली-उजली 
नर्म धूप को और
बंदोबस्त कर सकूं....
आने वाली ‘कड़कड़ाती’
सर्दियों का।
⛄⛄

✍️ हेमंत कुमार

एक मासूम परिंदा, ✍️ हेमंत कुमार

एक मासूम परिंदा 🔖🔖

पेड़ की ऊंची शाख पर जा बैठा, एक ‘मासूम’ परिंदा वो।
अंदाजे से कहां पता लगता है कि जंगल में आग लगी है।।

अपनों से भी अब जरा—सा बच के ही चलने लगा है वो।
जब से पता लगा है उसे कि ‘सब’ रिश्तों में आग लगी है।।

सिगरेट फूंक~फूंक के सब धुआं~धुआं करता रहा है वो।
अब जा के मालूम हुआ है उसे कि फेफड़ों में आग लगी है।।

बड़ी-बड़ी खबरें लगी है कि बड़े ही ‘मजे’ से जी रहा है वो।
किसी को क्या पता कि बाजार में कीमतों में आग लगी है।।

बीच मझ–धार में ही अकेला छोड़ के चला गया है मुझे वो।
तब जा के अहसास हुआ कि ‘दिल’ में कैसी आग लगी है।।

सब कुछ जगमग नज़र आ रहा था, जब आया शहर में वो।
दूर से कहां पता लगता है कि अजनबी शहर में आग लगी है।।
🌋🌋

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...