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Monday, April 18, 2022
पृथ्वी, ✍️ हेमंत कुमार
शिद्दत, ✍️ हेमंत कुमार
बड़ी ही “शिद्दत” से मुझे चाहता है वो अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “सुकून” बन गया।।
उसकी “चाहतें” मेरे होश उड़ा देती हैं अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “जुनून” बन गया।।
बैठा था “पहलू” में आके,गया नही हैं अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “अपना” बन गया।।
आंख मूंदते ही वही “नजर" आता है अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “सपना” बन गया।।
उसकी “खुशबू” बदन से लिपटी है अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “हिस्सा” बन गया।।
कतरा कतरा करके बरसा है “इश्क” अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “किस्सा” बन गया।।
🌼🌼
✍️ हेमंत कुमार
Saturday, March 19, 2022
रंग ‘प्रेम’ का, ✍️ हेमंत कुमार
रंग ‘प्रेम’ का
🌼💮🏵️🌸🌼
मैं अपने ‘प्रेम’ के रंग में रंग लेना चाहता हूं तुम्हें।
मैं अपनी ही चाहतों में डूबो लेना चाहता हूं तुम्हें।।
होली के ‘हुड़दंग’ में बहकने लगी है पगली सी पवन।
मैं भी ‘ख्वाबों’ की दुनिया में ले जाना चाहता हूं तुम्हें।।
फाग खेल रहे हैं सब इस ‘खुशनुमा’ से मौसम में।
मैं भी गाल पर “गुलाल” लगाना चाहता हूं तुम्हें।।
मस्ती के इस ‘माहौल’ में मद~मस्त हुए हैं सब लोग।
मैं भी मजे में थोड़ी सी भांग पिलाना चाहता हूं तुम्हें।।
रंग~बिरंगी ‘पिचकारियां’ लिए घूम रहे हैं सब दीवाने।
मैं भी प्रेम के गहरे ‘रंग’ में भिगो देना चाहता हूं तुम्हें।।
उन्माद की हद तक छाई है ‘मदहोशी’ आसमान में।
मैं भी बस अपनी रूह में उतार लेना चाहता हूं तुम्हें।।
🪅🪅
✍️ हेमंत कुमार
कोहरा, ✍️ हेमंत कुमार
कोहरा 🌁🌁
ये जो ‘कोहरा’ सा छा रहा है आसमान में ‘धुआं’ तो नहीं।
वो जो बे~वजह सा ही चाहता है तुमको ‘धोखा’ तो नहीं।।
ये सड़क बडी गुम-सुम सी है, आज कहीं इतवार तो नहीं।
वो जो कर रहा है मोलभाव, कहीं कोई खरीददार तो नहीं।।
मेहरबां, हमें मालूम है, इश्क इक रास्ता है मंजिल तो नहीं।
वो भी जानते हैं वो मर्ज़ी के मालिक हैं किरायेदार तो नहीं।।
उसको जमाने लगेंगे हमें समझने में, कोई शिकवा तो नहीं।
हर कोई पढ़ ले हमें बड़े शौक से, हम कोई इश्तहार तो नहीं।
उसकी बेबसी कोई क्या समझेगा, वो कोई दीवाना तो नहीं।
हवा खिलाफ चली है दीये के, सच है ये, अफसाना तो नहीं।।
सब कुछ ‘सच’ ही कहा था उसने, मगर वो ‘काफी’ तो नहीं।
साबित कर देगा वो ‘बेगुनाही’ भी, मगर ये ‘इंसाफ’ तो नहीं।।
बहुत ऊंचे हैं सत्ता के ‘सिंहासन’, इन्हें नीचे दिखता तो नहीं।
‘इंसाफ’ होता होगा फाइलों में, हकीकत में मिलता तो नहीं।।
🌪️🌪️
✍️ हेमंत कुमार
उम्मीद से ज्यादा, ✍️ हेमंत कुमार
उम्मीद से ज्यादा 🌠🌠
बारिशों सा है इश्क उसका, जब भी बरसा, बेहिसाब बरसा।
इतना कभी ना बरसा था वो जितना के अब के बरस बरसा।।
सबको मालूम है, कौन किसको यूहीं बेसबब चाहता है यहां।
शुक्रगुजार हूं उसका वो हमेशा मेरी उम्मीद से ज्यादा बरसा।।
गर्दिश में, दर्द में, मुफलिसी में, सब साथ छोड़ जाते हैं यहां।
कितना पाबंद है वो अपने वादे का, गमों में आखों से बरसा।।
बहुत दूर जा कर के, कब कोई लौट के वापस आया है यहां।
जब कभी भी आई याद उसकी वो हमेशा बादलों से बरसा।।
गुजरे वक़्त में बहुत कम आमना सामना हुआ है उससे मेरा।
गमों की जरा सी भी आहट हुई, तो वो फुहार बन के बरसा।।
‘मौसमों’ को आखिर बदलना ही होता है और वो बदल गए।
खैर जब भी पुकारा मैने उसे वो आ के मेरे ख्वाबों में बरसा।।
तय हुआ था करार हमारे उसके बीच कभी ना बिछड़ने का।
जैसे ही पुकारा उसको मैंने, मचल के वो मेरी छत पे बरसा।।
🍄🍄
✍️ हेमंत कुमार
बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार
बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...
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_तुम_🔆🔆 मचलता ख्वाब सी हो तुम। महकता “गुलाब” सी हो तुम।। इठलाती तितली सी हो तुम। मस्तमौला “दिल्ली” सी हो तुम। बल ~ खाती बेल सी...
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“चाँद” ⚪ “चाँद” किस किस के हो तुम....⚪ हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम.... हर किसी के इश्क में, रुसवाइयों में, उदासियो...
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इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम 🌆 🌆 अच्छा‼️ चलो तुम कहते हो तो यूं करते हैं। आज की ये इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम करते हैं।। ये उलफ...