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Monday, March 25, 2024

अरमान, ✍️ हेमंत कुमार

अरमान 💁💁

कितने ‘अरमानों’ पर पानी फिरा है, कितने सपने टूटे हैं। 
चाहने से ‘इश्क’ वालों के जात-पात के बंधन कब टूटे हैं।।

बुने हैं सपने जब भी किसी मह जबीन ने, सच में झूठे हैं।
टूट जाते हैं लोग खूब ऐंठ में, मगर मोहब्बत में कब टूटे हैं।।

जो ना बदले ‘वक़्त’ के साथ,लोग वो हमेशा पीछे छूटे हैं।
रास्ते जो चुन लिए अल्हड़ जवानी ने, वो रास्ते कब टूटे हैं।।

इधर वो फैसले पर अटल है, उधर इश्क के देवता रूठे हैं।
जीवन की ‘चौसर’ है ये, भ्रम यहां ‘कौरवों’ के कब टूटे हैं।।

सीने में ‘दरिया’ समेटे बैठा था वो, जिसके ‘आंसू’ फूटे हैं। 
कोई कितनी भी ‘हिम्मत’ जोड़े, कंकड़ से पर्वत कब टूटे हैं।।

हालत ठीक नही है ‘माना’ पर ‘रब’ के मिलाए कब छूटे हैं।
लाख चाह ले कोई, ‘रब’ चाहे तो, अंबर के तारे कब टूटे हैं।।
🚸🚸

✍️ हेमंत कुमार

Friday, March 8, 2024

स्त्री, ✍️ हेमंत कुमार

स्त्री 🦋🌹

माना पग-पग पर हैं बंधन
हर जिम्मेदारी न्यारी.......
पर तुमने हर बंधन को...... 
........कदम ताल बनाया है। 

माना सृजन से समर्पण तक
हर जिम्मेदारी प्यारी.......
पर तुमने सूझ बूझ से......
.......अपना मुकाम बनाया है।

माना भक्ति से परम शक्ति तक
हर जिम्मेदारी भारी.......
पर तुमने अपने बलबूते......
.......एक अलग जहां बनाया है।

स्त्री.....
तुम आजाद थी, हो और रहोगी....
बहते पानी को कब कोई रोक पाया है?
और जब-जब भी हिमाकत हुई है....जलजला आया है। 😊💐

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, March 5, 2024

तुम, ✍️ हेमंत कुमार

तुम 💐💐

गुलाबी सा मौसम, गुलाबी से ख़्वाब, गुलाबी गुलाबी सी तुम....

खिले खिले से फूल, खिली खिली सी धूप, खिली खिली सी तुम....

लहराती हुई फसलें, लहराती हुई जुल्फें, लहराती हुई सी तुम....

महकते हुए नजारे, महकते हुए अहसास, महकती हुई सी तुम....

हंसते हुए ‘रास्ते’, हंसते हुए ‘दरखत’, ‘हंसती’ हुई सी तुम....

नाचते हुए मोर हर और, नाचते हुए गुलमोहर, नाचती हुई सी तुम....

गुनगुनाते हुए भंवरे, गुनगुनाती हुई तितलियां, गुनगुनाती हुई सी तुम....
🥀🦋

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...