Followers

Saturday, September 16, 2023

धागा मन्नत का, ✍️ हेमंत कुमार

#धागा_मन्नत_का 🎋🎋

मैं बांध के आया था
एक धागा मन्नत का....

पीपल के पेड़ पर....

जहाँ मुझ से पहले 
मांगी जा चुकी थी 
हजारों मन्नतें....

लेकिन मेरा हमेशा
अटूट विश्वास रहा है....
खुद पर, तुम पर 
और खुदा पर....

उस दिन के बाद से
मैंने पीछे मुड़ के
नहीं देखा....

मुझे वो सब मिला 
जो मैंने चाहा था
सिवाय ‘तुम्हारे’....

उस मन्नत में मैंने
बस तुम्हें मांगा था....
लेकिन मुझे मिला बस
इंतजार, एक ‘अंतहीन’
इंतजार....

फिर तो जैसे मन्नतों 
से भरोसा ही उठ गया....

अब मैं बस खुद से 
खुद ही मांग लेता हूं....
थोड़ी सी फुर्सत, 
थोड़ा सा सुकून, थोड़ी 
तन्हाई, थोड़ा इंतजार....

और उकेर देता हूं अपने
मन के उद्गारों को कागज़ पर....

ये मन्नतों के धागे मुझे
कभी नहीं पहुंचा पाएंगे
तुम तक....

लेकिन मेरी कविताएं
जरूर पहुंचेंगी तुम्हारी
रूह तक और हो जाएंगी 
अमर सदा-सदा के लिए....
📋📋

✍️ हेमंत कुमार

No comments:

Post a Comment

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...