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Saturday, July 8, 2023

कश्मकश, ✍️ हेमंत कुमार

कश्मकश 🐣🐣

तुम्हारे लफ्जों की शिद्दत को महसूस करूं या तुम्हारी झील सी आंखों को निहारता रहूं.....
कश्मकश में रहता हूं जब भी तुम्हें देखता हूं.....

तुम्हारी किसी अदा पर जान लुटाऊं या तुम्हारी किसी बात पर मंद~मंद मुस्कुराता रहूं..... 
कश्मकश में रहता हूं जब भी तुम्हें सोंचता हूं.....

तुम्हारे हाथ को मजबूती से थाम कर चलूं या तुम्हारे किसी एक इशारे के इंतजार में रहूं.....
कश्मकश में रहता हूं जब भी तुम्हें मिलता हूं.....

तुम्हारे गले लग कर बस खामोश हो जाऊं या तुम्हारे कंधे पर सर रखकर गुनगुनाता रहूं.....
कश्मकश में रहता हूं जब भी तुम्हें चाहता हूं.....

तुम्हारी निश्छल हंसी लिखूं या तुम्हारे चेहरे से उदास, गहरी खामोशी की परतें हटाता रहूं.....
कश्मकश में रहता हूं जब भी तुम्हें लिखता हूं.....
❤️

✍️ हेमंत कुमार

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