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Thursday, February 17, 2022

फितूर, ✍️ हेमंत कुमार

 फितूर ☄️☄️


वो कोई हकीकत नहीं है, महज एक फितूर है तेरा।

तू सिर्फ जमीन है, वो पूरा का पूरा आसमान है तेरा।।


वो साथ चलेगा तेरे, पर साथ निभा नहीं पाएगा तेरा।

तू थका सा मुसाफिर है, वो रास्ते की सराय सा है तेरा।।


वो होंसले बढ़ाएगा, पर हौंसला बन नहीं पाएगा तेरा।

तू उड़ान भरता बाज़ है, वो मासूम सा शिकारी है तेरा।।


वो रूहानी सुकून देगा, मगर हमेशा इंतजार रहेगा तेरा।

तू सुबह का उगता सूरज है, वो उजला~2 चांद है तेरा।।


वो यकीनन इश्क है तेरा, पर कहानी नहीं बन पाएगा तेरा।

तू नायाब खुशबू है, वो हजारों गुलाबों से बना इत्र है तेरा।।


वो हर मौसम में गुलजार है, पर मिज़ाज जुदा सा है तेरा।

तू मीलों तक फैला रेगिस्तान है, वो अथाह समंदर है तेरा।।

🌊🌊


✍️ हेमंत कुमार

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