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Thursday, February 17, 2022

जाड़े की धूप, ✍️ हेमंत कुमार

 जाड़े_की_धूप 😶‍🌫️😶‍🌫️


ये अलसाई सी जाड़े की धूप और उसपे ख़्याल तुम्हारा ।

बहा ले जाता है मुझे उन सुनहरी यादों के गहरे समुंद्र में।।

                                                        

ये जनवरी का घना सा कोहरा और हंसता चेहरा तुम्हारा।

उड़ा ले जाता है मुझे उन पुरानी ‘राहों’ पर तुम्हारे साथ में।।


ये तिल की गज्जक, चाय की चुस्की और कमाल तुम्हारा।

चला ले जाता है मुझे उन कातिल जज्बातों की दुनिया में।। 


ये पुरानी सी गुलाबी स्वेटर और ‘महरून’ मफ़लर तुम्हारा।

घेर ले जाता है मुझे उन अल्हड़ बेफिक्र जवानी के दिनों में।।


ये कड़कड़ाती सर्दी की ठिठुरन और जलता अलाव तुम्हारा।

तैरा ले जाता है मुझे उन गर्माहट भरे एहसासों के भंवर में।।


ये घने कोहरे का गायब होना और फिर ना मिलना तुम्हारा।

लौटा ले जाता है मुझे उन बेगानी सी घुटन भरी गलियों में।।

🌁🌁


✍️ हेमंत कुमार

लफ्ज़, ✍️ हेमंत कुमार

 लफ्ज़ 🎙️🎙️


लफ्ज़ों को यूं ना जाया कर

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


जब जरूरी हो तब बोलिए

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


तुम्हारे लफ्ज़ बनें पहचान

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


ज्ञान का तुम भर लो भंडार

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


चलो तर्क पर हो के सवार

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


करो तुम बारी का इंतजार

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


तोल के ही बोला करो तुम

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।


एक एक लफ्ज़ में हो धार

हर लफ्ज़ बहुत कीमती है।

🗣️🗣️


✍️ हेमंत कुमार

फितूर, ✍️ हेमंत कुमार

 फितूर ☄️☄️


वो कोई हकीकत नहीं है, महज एक फितूर है तेरा।

तू सिर्फ जमीन है, वो पूरा का पूरा आसमान है तेरा।।


वो साथ चलेगा तेरे, पर साथ निभा नहीं पाएगा तेरा।

तू थका सा मुसाफिर है, वो रास्ते की सराय सा है तेरा।।


वो होंसले बढ़ाएगा, पर हौंसला बन नहीं पाएगा तेरा।

तू उड़ान भरता बाज़ है, वो मासूम सा शिकारी है तेरा।।


वो रूहानी सुकून देगा, मगर हमेशा इंतजार रहेगा तेरा।

तू सुबह का उगता सूरज है, वो उजला~2 चांद है तेरा।।


वो यकीनन इश्क है तेरा, पर कहानी नहीं बन पाएगा तेरा।

तू नायाब खुशबू है, वो हजारों गुलाबों से बना इत्र है तेरा।।


वो हर मौसम में गुलजार है, पर मिज़ाज जुदा सा है तेरा।

तू मीलों तक फैला रेगिस्तान है, वो अथाह समंदर है तेरा।।

🌊🌊


✍️ हेमंत कुमार

सर्दी, ✍️ हेमंत कुमार

 सर्दी ⛄⛄


सर्दी का ये हसीन सा मौसम और ये कैसी खुमारी।

मूंगफली और गुड़ की गज्जक की कर लो तैयारी।।


मद्धम सी धूप और गुलाबी सी ठंड में ये बे~करारी।

गाजर का हलवा और गोंद के लड्डुओं की तैयारी।।


शीत लहर का आगाज और कांपती हड्डियां हमारी।

करो चाय, कॉफी और गर्मा गर्म से सूप की तैयारी।।


घना कोहरा चारों तरफ़ और धुंधली सी राहें न्यारी।

ओढ़ लिया कंबल हमने, सर से पैर तक है तैयारी।।


अलाव का क्या है प्रबंध और किसकी है जिम्मेदारी।

छा रही है सर्दी हर तरफ, बचने की करो तुम तैयारी।।


कुछ भी कहो तुम, ये सर्दी मेरे दिल को बहुत है प्यारी।

हमने भी कर ली है अब के बरस की सर्दी की तैयारी।।

💟💟


✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...