ये जिंदगी सिर्फ एक ही दफा मिलती है।
इसको एक ही किस्त में जी के जाना है।।
किसी से क्या गिला शिकवा करना है यहां।
सभी से हंस के, मुस्कुरा के, मिल जाना है।।
आयेंगे फूल हर डाली पर, समय आने पे।
तब तक हर माली को सब्र कर जाना है।।
इस छत पर फिर से नजर नहीं आएगा वो।
उसे भी तो अब ये शहर छोड़ के जाना है।।
उसके हिस्से की बची वफाएं भी हम करेंगे
हमें अपने गुनाहों से भी बरी हो के जाना है।।
🌚🌚
✍️ हेमंत कुमार
No comments:
Post a Comment