एक जमाना था.....एक ‘राजा’ था, एक ‘रानी’ थी।
खत्म हुई अब वो परियों की/ महलों की सब कहानी है।।
मेरा फोन यूं ही भरा पड़ा है ‘उसकी’ पुरानी तस्वीरों से।
मेरा दिल यूं ही ‘वीरान’, इक अरसे से ‘बिल्कुल’ खाली है।।
वो समझा ही नहीं कभी मेरे दिल के उन जज्बातों को।
उसको शायद ‘इल्म’ भी नहीं, अब वो सब बातें पुरानी हैं।।
फिर कल सांझ एक चिड़िया आकर बैठी मेरे ‘आंगन’ में।
हंसते हुए बोली पहचाना नहीं, “पहचान” हमारी पुरानी है।।
मैंने कहा वो राजा/रानी, वो कहानी, वो सब बातें पुरानी हैं।
वो मुस्कुराई फिर बोली, वो रात गई, ये नई ‘सुबह’ निराली है।।
फुदककर बैठी वो मेरे कांधे पर, कभी मेरे माथे को सहलाई।
मैं कल फिर से आऊंगी, अब मैं ये “दोस्ती” यूं ही निभाऊंगी।।
हंसकर बोली, बैठो ना यूं उदास, यही जीवन/ यही कहानी है।
हम सब को यूं ही अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी है।।
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✍️ हेमंत कुमार