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Tuesday, August 23, 2022

मदहोश सावन, ✍️ हेमंत कुमार

मदहोश सावन 🌦️🌦️

ये सावन....
जिसको चाहे....
उसको मदहोश कर दे....

ये मौसम.....
जब-तब चाहे.....
मन में हिलोरे उठा दे.....

ये बादल....
जिधर चाहे....
मौसम सुहाना कर दे....

ये बारिश....
जिसको चाहे....
उसको बेहोश कर दें....

ये पतंगें.....
जिसकी छत पे चाहे.....
लहरा के प्यार के पेंचे लडा दे.....

ये तीज.....
जब बीज चाहे.....
धरती पर अंकुरित कर दे.....

ये नदियां....
जिधर चाहें....
मचलकर उधर चल दें.....

ये भक्त्ति.....
जब शिव चाहें.....
सती को पार्वती कर दें.....

ये सावन....
जिसको चाहे....
उसको मदहोश कर दे....
उसको मदहोश कर दे....
🌱🌱

✍️ हेमंत कुमार

तलाश-ए-जिंदगी, ✍️ हेमंत कुमार

तलाश-ए-जिंदगी ☘️ ☘️

इक अरसे से...
मैं ‘तलाश’ में हूं...
एक सुकून भरे दिन की...

जिसमें...
किसी झोंपड़ी में बैठ कर...
बुन सकूं आधे-अधूरे ख्वाबों को...

जिसमे...
सुलगा सकूं... 
फुर्सत से पुरानी यादों का हारा....

जिसमें...
संजो सकूं...
बचपन के सुनहरे पलों को...

जिसमे...
मिल सकूं...
अपने खुद के वजूद से...

जिसमें...
खर्च कर सकूं...
खुद पर कुछ कीमती पल...

जिसमें...
दफ़न कर सकूं...
गुजरे वक्त की तन्हाइयां...

जिसमें...
महसूस कर सकूं...
तेरी तैरती परछाइयां...

जिसमें...
खोल सकूं...
द्वार गहरे अंतर्मन के...

जिसमें...
आह्वान कर सकूं...
सभी अदृश्य शक्तियों का...

जिसमें...
नंगी आखों से देख सकूं...
अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य को...
☠️☠️

✍️ हेमंत कुमार 

*हारा- गोबर के उपले जलाकर कुछ पकाने का स्थान, जिसमें धीमी-धीमी आंच सुलगती रहती है।

आवाज का जादू, ✍️ हेमंत कुमार

आवाज का जादू ✨✨

आज फिर कानों में ‘गूंजी’ है आवाज उसकी।
आज फिर से ‘जान’ में ‘जान’ आई है उसकी।।

उसकी बातें, उसकी यादें, बस ‘उसका’ ही तो है सुरूर।
क्यों ना हो उसका जुनूं ? बस वो ही तो है उसका गुरुर।।

उसकी खनकती आवाज का ही तो है ये जादू।
उसका उस पर ही नही रह पाता है कोई काबू।।

ये दुआ है मेरी,‘रहमत’ सदा बनी रहे उसकी। 
क्योंकि उसमें ही तो अटकी हैं ‘सांसे’ उसकी।।
💓💓
जय श्री कृष्णा। 🙏

✍️ हेमंत कुमार

खोटा सिक्का, ✍️ हेमंत कुमार

खोटा सिक्का  🎭🎭

गफलत में हो ‘आवाम’ तो खोटा~सिक्का भी चल सकता है।
ना पूरे हुए जो अरमान जिंदगी में, तो मुर्दा भी चल सकता है।।

कोई नहीं निगहबाँ यहां मासूमों, मजलूमों और बेसहारों का।
अदालत में यहां झूठा मुकदमा कई बरस भी चल सकता है।।

इक तरफ एक “घर” नहीं चल पाता खून–पसीना बहाने से।
कमाल देखिए जनाब यहां जुमलों से ‘देश’ भी चल सकता है।।

वो और लोग थे जो बड़ी ‘सादगी’ से जी गए जमाने अपने।
ये ‘अजीब’ दौर है यहां आदमी नंगे बदन भी चल सकता है।।

झूठे होते हैं ‘चुनाव’ में बे-हिसाब किए गए सारे कसमें-वादे।
बात में गर दम हो तो इसी देश में ‘जे.पी’ भी चल सकता है।।

एक अरसे से सच में ‘सच’ को ‘सच’ बोलना गुनाह है जहां।
मुमकिन है ऐसे देश में ‘झूठ’ का कारोबार भी चल सकता है।।

बड़े सपने संजोए थे ‘शहीदों’ ने अपनी जान हथेली पे रख।
उनको भुलाने का ये लंबा दौर, कुछ ओर भी चल सकता है।।
🙈🙉🙊

✍️ हेमंत कुमार

Sunday, July 10, 2022

माँ, ✍️ हेमंत कुमार

माँ 🌷🌷

महफूज़ हूं मैं इस “जमाने” में, 
खुश हूं मैं बस तेरा बेटा होने में,

गर माँ तू है.....

जिंदा है मेरा ‘बचपन’ अब भी,
भाती हैं ‘लोरियां’ मुझे अब भी,

गर माँ तू है.....

जुनून–ए–इश्क कुछ भी नहीं, 
रंगीन ‘महफिलें’ कुछ भी नहीं,

गर माँ तू है.....

डराता नहीं अंदर का शोर मुझे,
बहुत सुहाता है ‘चाँद’ भी मुझे,

गर माँ तू है.....

तेरी गोद में जन्नत का सुकून है,
तेरे सामने ‘हल्के’ सब जुनून है,

गर माँ तू है.....

बहुत भाता है ये जग सारा मुझे,
हर बात पे खूब ‘मुस्कराना’ मुझे,

गर माँ तू है.....
गर माँ तू है.....
❣️❣️

✍️ हेमंत कुमार


बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...