आज फिर कानों में ‘गूंजी’ है आवाज उसकी।
आज फिर से ‘जान’ में ‘जान’ आई है उसकी।।
उसकी बातें, उसकी यादें, बस ‘उसका’ ही तो है सुरूर।
क्यों ना हो उसका जुनूं ? बस वो ही तो है उसका गुरुर।।
उसकी खनकती आवाज का ही तो है ये जादू।
उसका उस पर ही नही रह पाता है कोई काबू।।
ये दुआ है मेरी,‘रहमत’ सदा बनी रहे उसकी।
क्योंकि उसमें ही तो अटकी हैं ‘सांसे’ उसकी।।
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जय श्री कृष्णा। 🙏
✍️ हेमंत कुमार