Followers

Sunday, July 10, 2022

बस मेरा इतना सा गम है, ✍️ हेमंत कुमार

बस मेरा इतना सा गम है 🙇‍♂️🙇‍♂️

खामोशी है लबों पे मेरे और आंखें नम हैं।
बस मेरा इतना सा गम है....

तन्हा सा है सफर मेरा और सपने कम हैं।
बस मेरा इतना सा गम है....

गरम सा है मिजाज मेरा और हवा नम है।
बस मेरा इतना सा गम है....

खुशनुमा सा है मौसम और हसरतें कम हैं।
बस मेरा इतना सा गम है....

हवाएं खिलाफ हैं मेरे और इरादों में दम है।
बस मेरा इतना सा गम है....

उम्मीदें बहुत है मुझ से और तजुर्बा कम है।
बस मेरा इतना सा गम है....

उधर वो उदास बैठे हैं और इधर बेहोश हम हैं।
बस मेरा इतना सा गम है....

सफर बहुत लंबा है और समय बहुत कम है।
बस मेरा इतना सा गम है....

आखिरी मुकाबले में इधर वो और उधर हम हैं।
बस मेरा इतना सा गम है....
🦸🤺

✍️ हेमंत कुमार

No comments:

Post a Comment

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...