खोटा सिक्का 🎭🎭
गफलत में हो ‘आवाम’ तो खोटा~सिक्का भी चल सकता है।
ना पूरे हुए जो अरमान जिंदगी में, तो मुर्दा भी चल सकता है।।
कोई नहीं निगहबाँ यहां मासूमों, मजलूमों और बेसहारों का।
अदालत में यहां झूठा मुकदमा कई बरस भी चल सकता है।।
इक तरफ एक “घर” नहीं चल पाता खून–पसीना बहाने से।
कमाल देखिए जनाब यहां जुमलों से ‘देश’ भी चल सकता है।।
वो और लोग थे जो बड़ी ‘सादगी’ से जी गए जमाने अपने।
ये ‘अजीब’ दौर है यहां आदमी नंगे बदन भी चल सकता है।।
झूठे होते हैं ‘चुनाव’ में बे-हिसाब किए गए सारे कसमें-वादे।
बात में गर दम हो तो इसी देश में ‘जे.पी’ भी चल सकता है।।
एक अरसे से सच में ‘सच’ को ‘सच’ बोलना गुनाह है जहां।
मुमकिन है ऐसे देश में ‘झूठ’ का कारोबार भी चल सकता है।।
बड़े सपने संजोए थे ‘शहीदों’ ने अपनी जान हथेली पे रख।
उनको भुलाने का ये लंबा दौर, कुछ ओर भी चल सकता है।।
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