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Sunday, June 19, 2022
बेफ़िक्री, ✍️ हेमंत कुमार
विचारों का भंवर, ✍️ हेमंत कुमार
विचारों का भंवर 🌀🌀
‘विचारों’ के भंवर से बाहर निकल।
क्या है द्वंद मन में पहले उसे जान।
फिर क्षमताओं को अपनी पहचान।
कर निर्धारित लक्ष्य,और आगे बढ़।
आएंगी मुश्किलें, लड़खड़ाएंगे कदम भी।
टूटेंगे हौसलें, ढहने लगेगी सब उम्मीदें भी।
नजर ना आएगी तुझे कोई तरकीब भी।
जीतते नजर आएंगे तुझे तेरे रकीब भी।
तू डर ना जाना, तू कहीं बिखर ना जाना...!!
उलझे ख्यालों में, तू कहीं उलझ ना जाना...!!
इन अंधेरी रातों में, तू कहीं रुक ना जाना...!!
जज्बातों में बह, तू कहीं डगमगा ना जाना...!!
इसी तरह सोना तप के कुंदन बन जाता है।
इसी तरह लड़ के अभिनंदन बन जाता है।
इसी तरह पढ़–पढ़ के कलाम बन जाता है।
इसी तरह जुनून से हर मुकाम बन जाता है।
‘विचारों’ के भंवर से बाहर निकल।
क्या है द्वंद मन में पहले उसे जान।
फिर क्षमताओं को अपनी पहचान।
कर निर्धारित लक्ष्य,और आगे बढ़।
🌊🌊
✍️ हेमंत कुमार
एतबार, ✍️ हेमंत कुमार
एतबार 🌊🌊
यूं ही ना कर लिया करो तुम किसी पे भी एतबार यहां।
शराफत तुम्हारी ठीक है, मगर ये जमाना बहुत तेज है।।
वो जो अभी नया – नया आया है इश्क के कारोबार में।
इरादे लाख नेक रखे, मगर उसकी रफ्तार बहुत तेज है।।
खरीदना चाहता है वो बच्चों के लिए खुशियां बाजार से।
सब खरीद तो ले वो, मगर बाजार में भाव बहुत तेज हैं।।
वो चिल्ला~चिल्ला के कहता रहा यहां हालत ठीक नहीं।
कोई तो सुनता उसकी भी, मगर बाहर शोर बहुत तेज है।।
बादल बरसना तो चाहते हैं जम के इस सूखे शहर में भी।
खूब बरस भी जाएं वो, मगर हवा का रुख बहुत तेज है।।
वो इस उम्मीद में है कि पार ले जाएगा अपनी किश्ती को।
आसमान तो साफ है, मगर लहरों का बहाव बहुत तेज है।।
क्या पता कब किसको ले ले वो अपने प्यार की गिरफ्त में।
दिखता तो सीधा~साधा है, मगर वो आदमी बहुत तेज है।।
वो सब कुछ ही तो समेट लेना चाहता है अपनी ही मुट्ठी में।
समेट भी ले वो, मगर वक्त का पहिया घूमता बहुत तेज है।।
⏳⌛
✍️हेमंत कुमार
दोस्तीनामा, ✍️ हेमंत कुमार
Friday, May 13, 2022
तुम, ✍️ हेमंत कुमार
बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार
बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...
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_तुम_🔆🔆 मचलता ख्वाब सी हो तुम। महकता “गुलाब” सी हो तुम।। इठलाती तितली सी हो तुम। मस्तमौला “दिल्ली” सी हो तुम। बल ~ खाती बेल सी...
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“चाँद” ⚪ “चाँद” किस किस के हो तुम....⚪ हर किसी को लगता है सिर्फ उसी के हो तुम.... हर किसी के इश्क में, रुसवाइयों में, उदासियो...
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इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम 🌆 🌆 अच्छा‼️ चलो तुम कहते हो तो यूं करते हैं। आज की ये इक शाम सिर्फ तुम्हारे नाम करते हैं।। ये उलफ...