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Sunday, June 19, 2022

एतबार, ✍️ हेमंत कुमार

 एतबार 🌊🌊


यूं ही ना कर लिया करो तुम किसी पे भी एतबार यहां।

शराफत तुम्हारी ठीक है, मगर ये जमाना बहुत तेज है।।


वो जो अभी नया – नया आया है इश्क के कारोबार में।

इरादे लाख नेक रखे, मगर उसकी रफ्तार बहुत तेज है।।


खरीदना चाहता है वो बच्चों के लिए खुशियां बाजार से।

सब खरीद तो ले वो, मगर बाजार में भाव बहुत तेज हैं।।


वो चिल्ला~चिल्ला के कहता रहा यहां हालत ठीक नहीं।

कोई तो सुनता उसकी भी, मगर बाहर शोर बहुत तेज है।।


बादल बरसना तो चाहते हैं जम के इस सूखे शहर में भी।

खूब बरस भी जाएं वो, मगर हवा का रुख बहुत तेज है।।


वो इस उम्मीद में है कि पार ले जाएगा अपनी किश्ती को।

आसमान तो साफ है, मगर लहरों का बहाव बहुत तेज है।।


क्या पता कब किसको ले ले वो अपने प्यार की गिरफ्त में।

दिखता तो सीधा~साधा है, मगर वो आदमी बहुत तेज है।।


वो सब कुछ ही तो समेट लेना चाहता है अपनी ही मुट्ठी में।

समेट भी ले वो, मगर वक्त का पहिया घूमता बहुत तेज है।।

⏳⌛


✍️हेमंत कुमार


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