बड़ी ही “शिद्दत” से मुझे चाहता है वो अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “सुकून” बन गया।।
उसकी “चाहतें” मेरे होश उड़ा देती हैं अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “जुनून” बन गया।।
बैठा था “पहलू” में आके,गया नही हैं अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “अपना” बन गया।।
आंख मूंदते ही वही “नजर" आता है अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “सपना” बन गया।।
उसकी “खुशबू” बदन से लिपटी है अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “हिस्सा” बन गया।।
कतरा कतरा करके बरसा है “इश्क” अब तक।
इस तरह से वो शख्स मेरा “किस्सा” बन गया।।
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✍️ हेमंत कुमार