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Tuesday, March 11, 2025

बेचैन दिल की तमन्ना, ✍️ हेमन्त कुमार

बेचैन दिल की तमन्ना 🙇‍♂️🙇‍♂️

बेचैन दिल की तमन्ना है कि इस दिल को करार आ जाए।
अब वो वक्त बीत चुका है, बस ये दिल इतना समझ जाए।।

ना वो अब मोहब्बतों का सिलसिला रहा ना वो बहारें रही।
अब तो ऐसा साकी चाहिए जो बिन बोले सब समझ जाए।।

दिन लुढ़क रहा है आहिस्ता-आहिस्ता शाम के आगोश में।
रात की गहरी ‘खामोशी’ में मद्धम सा संगीत बजाया जाए।।

बेवजह आस्तीन में क्यों छुपाकर रखना जहरीले सांपों को।
भनक लगते ही ‘बीन’ बजाकर सपेरों के हवाले किया जाए।।

ढलान आते ही जल्दी मुकम्मल हो जाएगा जिंदगी का सफर।
यकीनन समय रहते सारे आधे-अधूरे काम निपटा लिए जाए।।

दो-जहाँ की सैर करके वापस आ गए हैं हम अपने नशेमन में।
कश्ती को वापस अपने सफर पर समंदर में लौटने दिया जाए।।
🫡🫡

✍️ हेमन्त कुमार

Sunday, March 2, 2025

ओये जंगली!!!, ✍️ हेमंत कुमार

ओये जंगली!!! 🤦🤦

वो फोन मिलाते ही अपनी खनकती आवाज़ में जब ये कहती है तो.....
गिटार सा बजने लगता है उस लड़के के दिल में.....
उसका चेहरा एक दम से खिलखिला उठता है.....
यकायक सुध~बुध खो बैठता है उसका मन और उसकी धड़कने तेजी से बढ़ने लगती हैं.....

और फिर जब वो ये कहती है फ्री हूं एक घंटे के लिए चलो मिलते हैं तो.....
तितलियां सी उड़ने लगती हैं उसके हर तरफ.....
उसके आसपास सब~कुछ एकदम से महकने लगता है.....
सब काम~धाम छोड़ के वो निकल पड़ता है उससे मिलने बस अपनी ही धुन में.....

कॉफी टेबल पर बैठते ही दोनों एक दूसरे को नज़र भर देखते हैं......
और फिर एक लंबी खामोशी घेर लेती है उन्हें......
जज़्बात उमड़ पड़ते हैं और कर देते हैं दोनों को बेचैन.....
और फिर वो थाम लेता है उसका कोमल हाथ......और ये स्पर्श उतर जाता है दोनों के शरीर में बिजली की तरह......और एक सकारात्मक ऊर्जा कर देती है दोनों को सम्मोहित.....

और इसी बीच टेबल पर गर्मागर्म कॉफी दस्तक देती है.....

वो दोनों अपने-अपने कॉफी के मग उठाकर फिर से खो जाते हैं पुरानी यादों के खजाने में......बातें करते-करते वो अचानक से कहती है......कुछ बात भी नहीं की और देखो पता ही नहीं कैसे एक घंटा बीत गया कॉफी पीते-पीते.....

और फिर अचानक से घड़ी में देखते हुए हड़बड़ाकर......ओये!!! 
अब मैं चलती हूं......

पर्स और मोबाइल संभालते हुए उसने जब ये कहा.....

वो बस एक दम हल्का सा मुस्कुरा दिया.....
और वो पगली झट से ऐसे उसके गले लग जाती है......जैसे बिन कहे आश्वासन दे रही हो कि जल्दी मिलते हैं......

वो हंसते खिलखिलाते मनमोहक अंदाज़ में चल देती है......
पर अपना कुछ हिस्सा छोड़ जाती थी उस जंगली के पास.....जिससे वो रह सके हरा-भरा......अगली छोटी सी मुलाकात तक......❤️☘️

........और इस तरह वो दोनों फिर से लग जाते हैं अपने अपने जीवन की आपा-धापी में......नियति द्वारा मुकर्रर किए गए किरदारों को शिद्दत से निभाने में......अपनी अपनी दुनिया को सजाने में.......

.......यूं भी निभाई जाती रही है एक अनकही, अनसुनी, अनजान “मोहब्बत” बरसों तक......
🥰🥰

✍️ हेमन्त कुमार

बेचैन दिल की तमन्ना, ✍️ हेमन्त कुमार

बेचैन दिल की तमन्ना 🙇‍♂️🙇‍♂️ बेचैन दिल की तमन्ना है कि इस दिल को करार आ जाए। अब वो वक्त बीत चुका है, बस ये दिल इतना समझ जाए।। ...