Followers

Sunday, September 29, 2024

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆

बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा।
तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।।

हर तरफ ‘बेहिसाब’ मसले हैं इस हंसती~खेलती दुनिया में।
अपने खुद के गढ़े हुए किरदार से जुदा हो के कहां जाऊंगा।।

आधा सा चांद टूट के बिखरा हुआ है धान के खाली खेतों में।
अब ये बता इस ‘गज़ब’ के मयकदे का हो के कहां जाऊंगा।।

गम है, खुशी है, कमी है, हंसी है, मुफलिसी है, तिजारत है।
चलो ठीक है, सब है, मगर इन सब का हो के कहां जाऊंगा।।

इक तेज दरिया बह रहा है पहाड़ के आड़े~तिरछे आंगन से।
मैं खारा पानी हूं, मैं तेरी काली आंखों से हो के कहां जाऊंगा।।

इक उम्र लगती है तमन्नाओं के बड़े~बड़े महल खड़े करने में।
मैं तेरे दिल की तिलस्मी दुनिया से जुदा हो के कहां जाऊंगा।।
💟💟

✍️ हेमंत कुमार

Tuesday, September 3, 2024

साजिश, ✍️ हेमंत कुमार

साजिश 💁💁

बादलों के पार हो रही थी ‘साजिश’ उसके खिलाफ।
हवाओं की अब हो रही थी ‘गवाही’ उसके खिलाफ।।

कल ही की बात थी ‘कलंदर’ था वो अपने जहां का।
आज हो रही थी खुलकर ‘बगावत’  उसके खिलाफ।।

यकीनन किसी और की ‘रोशनी’ से ‘रोशन’ था चांद।
दिन उगते ही हो गई सारी ‘रोशनाई’ उसके खिलाफ।।

जाने क्यों बेफिक्र था ‘जंगल’ अपनी ‘हदों’ को लेकर।
लकड़ी ‘कुल्हाड़ी’ से मिलते ही हो गई उसके खिलाफ।।

पैमाना क्या है इंसाफ के झूलते तराजू का क्या मालूम।
सिक्कों की खनक भी हो गई अब तो उसके खिलाफ।।

खुदा की बंदगी बे-ग़ैरत को भी दे सकती है एक मौका।
मगर किसी ‘मासूम’ की बद्दुआ ना हो उसके खिलाफ।।
🎭🎭

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...