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Monday, November 20, 2023

मन्नतों से परे एक धागा प्रेम का, ✍️ हेमंत कुमार

मन्नतों से परे एक धागा प्रेम का 🎋❤️

मांग कर देख ली मन्नतें मैंने
और फिर निराश होकर खोल 
दिए सारे “धागे” मन्नतों वाले....

ना कभी वो मन्नतें पूरी हुई और
ना कभी ‘मन्नतों’ पर भरोसा हुआ....

मगर ‘तुम’ मुझे अनायास ही
मिले थे बिना कोई मन्नत मांगें.....

और फिर एक दिन अनायास ही 
उपज आया था ‘प्रेम’ हमारे बीच.....

रिश्तों की ‘प्रगाढ़ता’ कभी भी 
किसी नाम की मोहताज नहीं रही.....

फिर सहसा ही मैंने बांध दिया तुम्हें 
मन्नतों से परे, एक धागा ‘प्रेम’ का.....

कहां मालूम था कि एक कच्चा धागा
दे सकता है संबंधों को इतनी गहराईयाँ.....

कितना सुखद होता है ना 
यूं किसी का अपना-अपना सा हो जाना
और बिना माँगे “सब कुछ” सा मिल जाना.....
🧿🧿

✍️ हेमंत कुमार

मन्नत, ✍️ हेमंत कुमार

#मन्नत 🎋🎋
एक
धागा
मन्नत
का
जो
मैने 
बांधा
था
उस
पीपल 
के
पेड़
पर....

जब
मैने 
पहली 
बार 
तुम्हें 
मांगा
था
बड़ी
शिद्दत
से....

अब
लगता
है
वो
धागा 
खोलने
का
वक़्त
गया
है....

ताकि
भ्रम
बना 
रह
सके
मांगी
गई
मन्नतों
का
और
बेजुबान
दिलों
का....
☘️❤️

✍️ हेमंत कुमार

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