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Friday, May 13, 2022

तुम, ✍️ हेमंत कुमार


_तुम_🔆🔆

मचलता ख्वाब सी हो तुम।
महकता “गुलाब” सी हो तुम।।

इठलाती तितली सी हो तुम।
मस्तमौला “दिल्ली” सी हो तुम।

बल ~ खाती बेल सी हो तुम।
भारतीय  “ रेल ”  सी  हो  तुम।

बेवजह ही  बेचैन सी हो तुम।
मेरे “ मन ” का चैन सी हो तुम।

मदमस्त से बादल सी हो तुम।
सच्ची में ही “पागल” सी हो तुम।

कच्ची मिट्टी के बर्तन सी हो तुम।
दिल की मेरे “धड़कन” सी हो तुम।

पतंग की मजबूत डोर सी हो तुम।
बेहद ही खुशनुमा “भोर” सी हो तुम।
🏜️🏜️

✍️ हेमंत कुमार

शरबत_ए_मोहब्बत (दास्तान ए जिंदगी), ✍️ हेमंत कुमार

शरबत_ए_मोहब्बत 🧑‍🎨🧑‍🎨
(दास्तान ए जिंदगी)

शरबत ए मोहब्बत भी क्या खूब पीया है हमने....
जिंदगी की हर एक बूंद को भी जीया है हमने....!!

बचपन से अपनी गुल्लक 📦 में खूब अरमान जोड़े हैं हमने....
पड़ोस के बाग से कच्चे अमरूद 🫒 भी खूब तोड़े हैं हमने....!!

स्कूल 🏫 में तो क्या बताएं 1–1 नंबर कैसे पाए हैं हमने....
क्रिकेट 🏏 में मोहल्ले के ढेर सारे रिकॉर्ड भी बनाए हैं हमने....!!

प्यार की पतंगों 🪁को हवा के खिलाफ भी उड़ाया है हमने....
रिश्तों को भरोसे 🤝 की डोर से बांध के आगे भी बढ़ाया है हमने....!!

अपने काम 🖊️ को अपना खुदा अपना ईमान माना है हमने....
हर फलदार पेड़ 🌴 को अपना रहबर अपना गुरु भी माना है हमने....!!

पहाड़ों 🏔️ की हसीन वादियों में मन बहलाया है हमने....
तपती गर्मी 🌄 में खेत में जमके पसीना भी बहाया है हमने....!!

कभी कामयाबी 🙋‍♂️ कभी तजुर्बे 🙆‍♂️ हासिल किए हैं हमने....
कभी शोहरत 😇 कभी गुमनामी 🙇‍♂️ के दौर भी देखे हैं हमने....!!

ख्वाबों 🥳 की दुनिया में गढ़े हैं किस्से – कहानी हमने.....
बैठोगे फुर्सत ⛱️ में तो बताएंगे कैसी आड़ी तिरछी जिंदगी भी जी है हमने....!!

शरबत ए मोहब्बत भी क्या खूब पीया है हमने....
जिन्दगी की हर एक बूंद को भी जीया है हमने....!!
🎋🎋

✍️ हेमंत कुमार

फ़लसफ़ा, ✍️ हेमंत कुमार

फ़लसफ़ा 🍁🍁

ये क्या हो रहा है, ये कैसी बारिश बरस रही है।
जैसे-जैसे भीग रहा हूं, वैसे-वैसे निखर रहा हूं।।

वो कौन सी मिट्टी का बना है, वो कैसा पागल है।
तैर सकता है, फिर भी दरिया के किनारे खड़ा है।।

कैसे कैसे इल्जाम लगे हैं, उस बूढ़े से बरगद पर।
जो भी सफर में थका, वहीं आराम करता रहा है।।

दुश्वारियां, सारी अपने ही हिस्से में लेता रहा है वो।
दोस्त है वो, उसे दोस्ती का हुनर निभाना आता है।।

रेत सी हो गई है जिंदगी बस फिसलती जा रही है।
पहाड़ सा हो गया है वो शख्स खामोश ही रहता है।।

अब किधर ले जायेंगे ये मौसम,इनकी तो ये ही जानें।
हमारा क्या, हम तो उधर ही चल देंगे, जिधर वो चाहे।।
✨✨

✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया, ✍️ हेमंत कुमार

बेदर्द दुनिया 🔆🔆 बड़ी बेदर्द है दुनिया,“हवाओं” के संग हो के कहां जाऊंगा। तुझमें बसती है रूह मेरी, तुमसे अलग हो के कहां जाऊंगा।...